कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। प्रदेश में प्रशासन अपनी सेवाओं को पहले से बेहतर किये जाने का दावा करता है। खुद सूबे के मुखिया वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोगो की समस्याओं को सीधे कलेक्टर से पूछते है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। इसका उदाहरण ग्वालियर से आए एक मामले से आसानी से समझा जा सकता है। ग्वालियर में कैनेडियन बहू मैरिज सर्टिफिकेट के लिए पिछले सवा साल से हमारे सिस्टम के धक्के खा रही है। NRI महिला मैरिज सर्टिफिकेट के लिए ग्वालियर कलेक्टोरेट अधिकारियों के चक्कर लगा रही है। इस बीच तीन एडीएम बदल गए लेकिन महिला की समस्या का अब तक निदान नहीं हुआ है। इसके कारण अपने पति को कनाडा भी लेकर नहीं जा पा रही है। इतना ही नहीं महिला 1000 रुपए में बनने वाले मैरिज सर्टिफिकेट के लिए अबतक 9 लाख रुपए खर्च कर चुकी है।
इसी गुहार को लेकर मंगलवार को कैनेडियन महिला एक बार फिर कलेक्टोरेट पहुंची। महिला का इस बार सब्र का बांध टूट गया और मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बनने से वह फुट-फुट कर रोने लगी। जब उससे आसपास खड़े लोगों ने पूछा तो उसने अपनी परेशानी बताई। उनकी एक 4 महीने की बेटी भी है। नियमानुसार अनुप्रीत ही अपने पति को स्पॉन्सर करेगी, तब वे कनाडा जा सकेंगे। अभी उनके पति ग्वालियर में ही रहते हैं। इसी पीड़ा के चलते वह रोती बिलखती दिखी।
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल जालंधर की रहने वाली कनाडा नागरिकता प्राप्त भारतीय महिला अनुप्रीत बराड़ की शादी 7 नवंबर 2020 को ग्वालियर के गोहद चौराहे पर रहने वाले नवजोत सिंह रंधावा से हुई थी। दोनों ने लव मैरिज की थी। इसके बाद से अनुप्रीत ने मैरिज सर्टिफिकेट बनवाने के लिए ग्वालियर कलेक्ट्रेट में आवेदन कर रखा है। अपर कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ कर्मचारियों ने उनकी स्थिति को ना समझते हुए लापरवाही रवैया अपनाया हुआ है। जिसके कारण सवा साल में कनाडा से ग्वालियर आकर कलेक्टोरेट के बार-बार चक्कर लगा रही है। महिला पति को ले जाने के लिए कनाडा से तीन बार ग्वालियर आ चुपकी है। हर बार मैरिज सर्टिफिकेट की आस में अधिकारकियों के पास पहुंचती है लेकिन हर बार खाली हाथ लौटना पड़ता है। महिला की अबतक 9 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।
पति-पत्नी के मिलन में सर्टिफिकेट का रोड़ा
विवाह प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण पत्नी अपने पति कनाडा नहीं ले जा पा रही हैं। पति-पत्नी के मिलन में सर्टिफिकेट का रोड़ा आ गया है। दोनों एक साथ नहीं रह पा रहै हैं। वह अलग अलग रहने को मजबूर हैं। फिलहाल मामला कलेक्टर के संज्ञान में आने के चलते निर्देश दिया गया है कि 1 सप्ताह के अंदर उसका निदान किया जाए।
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