नई दिल्‍ली। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रू़डो की डिनर पार्टी में खालिस्तानी आतंकवादी को बुलाए जाने को लेकर सियासत गर्मा गई है. दरअसल ट्रूडो की पत्नी सोफी ट्रूडो की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें वे बैन किए जा चुके इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन में ऐक्टिव रहे दोषी खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल के साथ दिख रही हैं. ये तस्वीर मुंबई में 20 फरवरी को आयोजित हुए एक इवेंट की है. वहीं जसपाल अटवाल को कनाडा के पीएम के लिए आयोजित किए गए औपचारिक डिनर में भी आमंत्रित किया गया था.

कनैडियन न्‍यूज चैनल सीबीसी न्‍यूज की ओर से ये जानकारी दी गई है. अटवाल को दिल्‍ली में आयोजित डिनर के लिए भी इनवाइट भेजा गया था, लेकिन अब इस इन्विटेशन को कैंसिल किया जा रहा है. ट्रूडो आज दिल्‍ली में होने वाले डिनर में शामिल होंगे.

मुंबई में कनाडा उच्‍चायोग की ओर से अटवाल को प्रधानमंत्री ट्रूडो के साथ गुरुवार को डिनर के लिए इनवाइट किया गया था. कनाडा पीएमओ के प्रवक्‍ता एलनॉर कैटनारो ने एक ई-मेल के जवाब में कहा, ‘मैं आपको इस जानकारी की पुष्टि कर सकता हूं कि उच्‍चायोग इस इनविटेशन को कैंसिल करने की प्रक्रिया शुरू कर चुका है.

मुंबई में जो कार्यक्रम आयोजित हुआ था, उसमें शाहरुख खान, आमिर खान समेत बॉलीवुड के कई सितारों ने शिरकत की थी. अब अटवाल का इस तरह से कनाडियन पीएम जस्टिन ट्रूडो के डिनर में नजर आना उनके लिए शर्म का कारण बन गया है. ट्रूडो की सरकार को पहले से ही भारत में खालिस्‍तान और चरमपंथ का समर्थक माना जाता है. इस कारण से उनका देश में भव्‍य स्‍वागत भी नहीं किया गया. इस बात को लेकर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन तक में चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि ट्रूडो ने अपने भारत दौरे के दौरान कहा है कि वे चरमपंथ को खारिज करते हैं और एक अखंड भारत का समर्थन करते हैं.

कौन है जसपाल अटवाल?

जसपाल अटवाल साल 1986 में वैंकुवर आईलैंड पर भारतीय कैबिनेट मंत्री मलकियात सिंह सिद्धू की हत्‍या का दोषी है. उस समय अटवाल इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन का सदस्‍य था. यह एक आतंकी संगठन है जिसे कनाडा, यूके, अमेरिका और भारत में बैन किया गया है.

साल 1980 में कनाडा की सरकार ने इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन को आतंकी संगठन घोषित किया था. वैंकुवर में चार लोगों ने सिद्धू की कार पर हमला किया था और अटवाल इन चार लोगों में शामिल था. हाल ही में ब्रिटिश कोलंबिया की इंश्‍योरेंस कंपनी ने अटवाल और उनके बेटे विक और दूसरे कई लोगों के खिलाफ चोरी के एक मामले में 28,000 डॉलर का मुकदमा जीता है.

ट्रूडो ने अपने देश में खालिस्तानी संगठनों का समर्थन किया था. ट्रूडो सरकार में खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरमी के पीछे असल में वहां की घरेलू राजनीति है.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने ये भी कोशिश की थी कि ट्रूडो खालसा डे परेड में हिस्सा न लें, लेकिन ये नहीं हो सका. ट्रूडो से पहले स्टीफन हार्पर कनाडा के पीएम थे और अपने कार्यकाल में वे इस रैली में नहीं गए थे. इसी वजह से 2012 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और 2015 में नरेंद्र मोदी की कनाडा यात्रा का रास्ता साफ हो सका था. हाल में कनाडा के 16 गुरुद्वारों ने भारतीय अधिकारियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी, जिसके खिलाफ ट्रूडो सरकार ने कोई ऐक्शन नहीं लिया.

सिख अलगाववाद को लेकर ट्रूडो पर दबाव

कनाडा में मौजूद सिख अलगाववाद को लेकर ट्रूडो पर काफी दबाव है. तलविंदर परमार को ‘शहीद’ का दर्जा देने और उसे सम्मानित करने से जुड़ा सवाल भी कनाडियन पीएम से पूछा गया. इस पर उन्‍होंने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि हमें ऐसे लोगों को सम्‍मानित करना चाहिए, जिन्‍होंने कई लोगों की जान ली हो.’ परमार साल 1985 में एयरइंडिया की फ्लाइट में हुए ब्‍लास्‍ट का मास्‍टरमाइंड था, इस घटना में 331 लोगों की मौत हो गई थी.