दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High-court)ने स्पष्ट किया है कि भर्ती परीक्षाओं में OMR शीट पर रोल नंबर बबलिंग की मामूली त्रुटि के आधार पर किसी उम्मीदवार की उम्मीदवारी रद्द करना न्यायसंगत नहीं है. अदालत ने कहा कि यह नियमों का कठोर और अनुचित प्रयोग है. इस फैसले से 6 साल लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहीं महिला अभ्यर्थी कुसुम गुप्ता को आखिरकार न्याय मिला है. हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (DSSSB) को निर्देश दिया है कि 8 सप्ताह के भीतर कुसुम गुप्ता को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (विशेष शिक्षक) के पद पर नियुक्ति दी जाए.

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अदालत ने यह भी कहा कि उन्हें आनुमानिक वरिष्ठता और अन्य सेवा लाभ दिए जाएंगे, हालांकि बकाया वेतन-भत्ते केवल नियुक्ति की तिथि से ही देय होंगे. अदालत ने माना कि कुसुम गुप्ता की ओएमआर शीट का मूल्यांकन हुआ था और वे परीक्षा में सफल भी घोषित की गई थीं, यहां तक कि ई-डॉसियर अपलोड करने के लिए बुलाया गया. इसके बावजूद उनकी उम्मीदवारी रद्द करना अनुचित है. इस निर्णय को भर्ती परीक्षाओं में तकनीकी त्रुटियों के आधार पर योग्य उम्मीदवारों को बाहर करने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने वाला अहम आदेश माना जा रहा है.

जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की डिवीजन बेंच ने डीएसएसएसबी को आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता कुसुम गुप्ता को प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (विशेष शिक्षक) के पद पर अधिकतम 8 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी किया जाए. अदालत ने साथ ही निर्देश दिया कि उन्हें आनुमानिक वरिष्ठता और अन्य सेवा लाभ भी प्रदान किए जाएं, हालांकि बकाया वेतन-भत्ते केवल नियुक्ति की तिथि से ही देय होंगे.

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दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन) ने कहा कि कुसुम गुप्ता की OMR शीट का मूल्यांकन हो चुका था और वह परीक्षा में सफल घोषित की गई थीं. उन्हें ई-डॉसियर अपलोड करने के लिए भी बुलाया गया था, यानी चयन की प्रक्रिया आगे बढ़ चुकी थी. इसके बावजूद उनकी उम्मीदवारी रद्द कर देना नियमों का कठोर और अनुचित प्रयोग है. अदालत ने माना कि ऐसी मामूली तकनीकी त्रुटि (रोल नंबर बबलिंग की गलती) उम्मीदवार की उम्मीदवारी खत्म करने का आधार नहीं हो सकती. वकील अनुज अग्रवाल के माध्यम से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि अभ्यर्थी ने परीक्षा के प्रत्येक चरण को पार किया है, ऐसे में मामूली तकनीकी त्रुटि उसकी उम्मीदवारी खत्म करने का आधार नहीं हो सकती.

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दरअसल, दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने वर्ष 2017 में टीजीटी स्पेशल एजुकेशन टीचर्स के पदों के लिए भर्ती विज्ञापन जारी किया था. कुसुम गुप्ता ने लिखित परीक्षा सफलतापूर्वक पास की. इसके बाद चयन की प्रक्रिया में उन्हें ई-डॉसियर अपलोड करने के लिए भी बुलाया गया. लेकिन फरवरी 2019 की अंतिम सूची से उनका नाम हटा दिया गया. जब उन्होंने कारण पूछा तो डीएसएसएसबी ने बताया कि उनकी ओएमआर शीट में रोल नंबर गलत बबल किया गया था.

छह साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार कुसुम गुप्ता को न्याय मिल गया है. हालांकि, अदालत की यह राहत फिलहाल सीमित अभ्यर्थियों तक ही सीमित है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भर्ती परीक्षाओं में तकनीकी आधार पर उम्मीदवारों की उम्मीदवारी रद्द करने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने वाला एक महत्वपूर्ण नज़ीर साबित हो सकता है.

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