Capillary Technologies IPO Listing: Capillary Technologies की लिस्टिंग उस उम्मीद के विपरीत निकली, जो सब्सक्रिप्शन के आंकड़ों ने बनाई थी. IPO के दौरान 53 गुना तक बोली हासिल करने वाली इस SaaS कंपनी ने 21 नवंबर को बाजार में कदम रखते ही निवेशकों को निराश कर दिया.

BSE पर शेयर 2.9% गिरावट के साथ ₹560 पर और NSE पर 0.88% नुकसान के साथ ₹571.90 पर खुला, जबकि इश्यू प्राइस ₹577 तय था. कंपनी का ₹877.70 करोड़ का IPO निवेशकों में उत्साह जरूर पैदा कर पाया था, 345 करोड़ रुपये के नए शेयर और 532 करोड़ के ऑफर-फॉर-सेल ने इसे मजबूत इश्यू का रूप दिया.

लेकिन लिस्टिंग के पहले ही मिनट से साफ हो गया कि बाजार SaaS सेक्टर को लेकर फिलहाल सावधानी में है, चाहे सब्सक्रिप्शन कितना भी शानदार क्यों न रहा हो.

कंपनी की शुरुआत 2008 में हुई और आज इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है. Promoters Capillary Technologies International Pte Ltd और अनीश रेड्डी बोद्दू IPO से पहले ही एंकर इनवेस्टर्स से लगभग ₹394 करोड़ जुटा चुके थे, जो इस इश्यू पर शुरुआती भरोसा दिखाता था.

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Capillary Technologies IPO Listing
Capillary Technologies IPO Listing

वित्तीय प्रदर्शन: रेवेन्यू बढ़ा, लेकिन मुनाफा सीमित

FY25 में Capillary Technologies का रेवेन्यू 14% बढ़कर ₹611.87 करोड़ पहुंचा. लेकिन इसके साथ ही कंपनी का नेट प्रॉफिट महज ₹14.15 करोड़ रहा, जो SaaS कंपनियों के स्केल मॉडल के हिसाब से सीमित माना जा रहा है.

अप्रैल–सितंबर 2025 की अवधि में भी रेवेन्यू ₹362 करोड़ रहा, लेकिन मुनाफा सिर्फ ₹1.03 करोड़ तक सिमट गया. सबसे अहम बात, कंपनी पर ₹88.94 करोड़ का कर्ज दर्ज है, जो बाजार के नजरिए से रिस्क फैक्टर की तरह देखा गया.

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IPO के पैसे कहां जाएंगे? (Capillary Technologies IPO Listing)

कंपनी ने साफ कहा है कि फंड्स का इस्तेमाल कई रणनीतिक क्षेत्रों में होगा:

  • क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत पूरी करने में
  • नए प्रोडक्ट और प्लेटफॉर्म की रिसर्च व डेवलपमेंट में
  • कंप्यूटर सिस्टम और टेक्नोलॉजी अपग्रेड में
  • संभावित अधिग्रहणों के जरिए इनऑर्गेनिक ग्रोथ में
  • सामान्य कॉर्पोरेट जरूरतों को पूरा करने में

इन निवेशों से कंपनी को लंबे समय में मजबूती जरूर मिल सकती है, लेकिन शॉर्ट-टर्म में बाजार ने इसकी लिस्टिंग पर ‘वेट-एंड-वॉच’ का संदेश दिया है.

उत्साह से भरे IPO और कमजोर लिस्टिंग के बीच Capillary Technologies की कहानी वही है, सब्सक्रिप्शन हमेशा बाजार की धारणा नहीं बदलता. अब असली परीक्षा शुरू होती है कि कंपनी अगले तिमाहियों में निवेशकों का भरोसा कैसे वापस जीतती है.

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