दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण नियंत्रण को लेकर सीएक्यूएम (CAQM) की 25वीं बैठक में महत्वपूर्ण और सख्त निर्णय लिए गए हैं। बैठक चेयरपर्सन राजेश वर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 को हुई। बैठक में आगामी सर्दियों से पहले प्रदूषण नियंत्रण की तैयारियों, जीआरएपी (GRAP) के अमल, वाहनों और उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की घटनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में निर्देश दिए गए कि पराली जलाने पर रोक और पुराने वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान (एनसीआर क्षेत्र), उत्तर प्रदेश (एनसीआर) और दिल्ली के जिलाधिकारियों को यह अधिकार दिया गया है कि वे पराली जलाने के मामलों में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई कर सकते हैं।
राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने 1 नवंबर 2025 से प्रदूषण फैलाने वाले कॉमर्शियल वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। सीएक्यूएम की 25वीं बैठक अध्यक्ष राजेश वर्मा की अध्यक्षता में हुई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि दिल्ली में केवल बीएस-6, सीएनजी, एलएनजी और इलेक्ट्रिक मालवाहक वाहन ही प्रवेश कर सकेंगे। राजधानी में पंजीकृत बीएस-4 वाहनों को 31 अक्टूबर 2026 तक संक्रमणकालीन अनुमति दी जाएगी। बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अधिकारियों को पराली जलाने के मामलों में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आयोग ने 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को हटाने संबंधी पुराने आदेश को फिलहाल स्थगित करने का भी फैसला किया है।
ये वाहन ही कर पाएंगे दिल्ली में प्रवेश
दिल्ली में 1 नवंबर 2025 से केवल बीएस-6, सीएनजी, एलएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों को ही प्रवेश की अनुमति होगी। अन्य पुराने कॉमर्शियल वाहन प्रतिबंधित रहेंगे। राजधानी में पंजीकृत बीएस-4 वाहनों को 31 अक्टूबर 2026 तक अस्थायी छूट दी गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप, 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई पर फिलहाल रोक रखी गई है। सीएक्यूएम (CAQM) ने राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे: पराली जलाने पर सख्त निगरानी रखें, सीआरएम मशीनों का पूरा इस्तेमाल करें, और जनजागरूकता अभियान तेज करें।
इसके अलावा, यूपी और राजस्थान के एनसीआर सीमावर्ती जिलों में बढ़ती आग की घटनाओं पर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश भी दिए गए हैं। खुले में कचरा या बायोमास जलाने की शिकायतें 24 घंटे में निपटाई जाएं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार केवल 18 से 20 अक्टूबर तक हरे पटाखों की बिक्री की अनुमति होगी, वह भी निर्धारित जगहों पर और लाइसेंसधारक विक्रेताओं द्वारा। दिवाली पर पटाखों का उपयोग केवल सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक ही किया जा सकेगा; बाकी समय पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। ई-कॉमर्स से पटाखों की बिक्री और बारीयम युक्त पटाखों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 14 से 25 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता की निगरानी करेंगे। सभी संबंधित एजेंसियों को प्रदूषण नियंत्रण उपायों की लगातार समीक्षा और सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।
वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को निर्देश दिए हैं कि वे पराली जलाने की निगरानी बढ़ाएं और प्रभावी फसल अवशेष प्रबंधन सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट के 15 अक्टूबर के आदेश के अनुसार, आयोग ने दिवाली पर केवल ग्रीन पटाखों की सीमित बिक्री और उपयोग की अनुमति देने की बात दोहराई है। इसके साथ ही, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड 14 से 25 अक्टूबर तक वायु गुणवत्ता की निगरानी करेंगे और प्रदूषण नियंत्रण उपायों की सख्त समीक्षा करेंगे।
‘ठीकरा BS-4 वाहनों पर न फोड़े CAQM’
दिल्ली टैक्सी एंड टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन ने शुक्रवार को सीएक्यूएम (CAQM) को पत्र भेजकर चिंता जताई है। एसोसिएशन ने कहा कि अगर पटाखों के कारण राजधानी में AQI बढ़ता है, तो उसका ठीकरा डीजल वाहनों पर नहीं फोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि बीएस-4 डीजल वाहनों का प्रवेश दिल्ली में रोका न जाए।
एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने कहा कि उन्हें आशंका है कि ग्रीन पटाखों की उपलब्धता न होने पर लोग सामान्य पटाखे जलाएंगे, जिससे दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि AQI का स्तर बढ़ते ही सीएक्यूएम और दिल्ली सरकार अक्सर ट्रांसपोर्टरों के बीएस-3 और बीएस-4 डीजल व पेट्रोल वाहनों का संचालन रोक देते हैं, और ऐसे वाहनों के जब्ती और जुर्माने की कार्रवाई शुरू कर दी जाती है।
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