Supreme Court On Jammu Kashmir: सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा वाली याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस याचिका पर 8 हफ्ते के भीतर जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस पर काम जारी है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने बड़ी टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने में जमीनी हालात को ध्यान में रखना होगा. उन्होंने कहा कि आप पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार को दो महीने के भीतर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया जाए. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए, जिससे साफ है कि अब सुरक्षा संबंधी कोई बाधा नहीं है. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा बनाए रखना संघवाद के मूल सिद्धांत और क्षेत्र के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करता है.
पहलगाम हमले को नजरअंदाज तो नहीं कर सकते: CJI
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 को हटाने के सरकार के फैसले को बरकरार रखते था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि केंद्र ने अभी तक कोई समय-सीमा नहीं दी. मगर, याचिकाकर्ता की सुरक्षा वाली दलील को सुनते हुए CJI बीआर गवई ने टिप्पणी की, ‘ कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले जम्मू-कश्मीर के जमीनी हालात पर गौर करना होगा. पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता,’ उन्होंने हाल के आतंकी हमले का जिक्र करते हुए सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई.
सॉलिसिटर जनरल की दलील
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जटिल परिस्थितियों को ध्यान में रखना जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर की अजीबोगरीब स्थिति से वाकिफ है. यह याचिकाकर्ताओं के लिए माहौल बिगाड़ने का समय नहीं है. मेहता ने यह भी उल्लेख किया कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को दिए गए वादे के अनुसार, क्षेत्र में विधानसभा चुनाव सितंबर 2024 तक कराए गए. चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुए. हालांकि, उन्होंने राज्य दर्जे की बहाली के लिए समय-सीमा देने से बचते हुए सुरक्षा और प्रशासनिक चुनौतियों का हवाला दिया. मेहता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि केंद्र को इस मामले में जवाब देने के लिए पर्याप्त समय दिया जाए, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए 8 हफ्ते का समय दिया.
5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश बनाया था
दरअसल, 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश बनाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई। दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य से आर्टिकल 370 हटाने और विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने को सही माना था।
धारा 370 क्यों हटाई गई थी
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को हटाने का फैसला लिया। सरकार का तर्क था कि यह कदम राष्ट्रीय एकता, विकास और आतंकवाद पर लगाम के लिए जरूरी था। धारा 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देती थी, जिसके तहत वहां का अपना संविधान और अलग कानून थे। इससे भारत के बाकी हिस्सों के लोग वहां जमीन नहीं खरीद सकते थे और न ही स्थायी नागरिक बन सकते थे।
केंद्र सरकार के अनुसार, इस धारा ने राज्य को मुख्यधारा से अलग कर रखा था और विकास बाधित हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि यह प्रावधान आतंकवाद को बढ़ावा देता था और कश्मीर घाटी में अलगाववाद की सोच को जन्म देता था। धारा 370 हटाकर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया।
पूर्ण राज्य का दर्जा कैसे मिलेगा, 3 पॉइंट्स में समझे
प्रस्ताव को उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। आगे का निर्णय केंद्र सरकार को करना है। पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए केंद्र सरकार ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव की प्रक्रिया कर सकती है।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुर्नगठित किया गया था। इसलिए पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए संसद में एक कानून पारित कर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव करना होगा। यह बदलाव संविधान की धारा 3 और 4 के तहत होंगे।
राज्य का दर्जा देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में नए कानूनी बदलावों का अनुमोदन जरूरी होगा, यानी संसद से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलना जरूरी है। मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद जिस दिन राष्ट्रपति इस कानूनी बदलाव की अधिसूचना जारी करेंगे, उसी तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा।
सितंबर, 2024 को हुआ पहला विधानसभा चुनाव
सितंबर 2024 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हुआ अनुच्छेद 370 हटने के बाद पिछले महीन राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव हुए थे। तीन फेज में हुए चुनाव का रिजल्ट 8 अक्टूबर को आया था। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। पार्टी को 42 सीटें मिली थीं। NC की सहयोगी कांग्रेस को 6 और CPI(M) ने एक सीट जीती थी।
भाजपा 29 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। वहीं, 2014 के विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी PDP को सिर्फ 3 सीट मिलीं। पार्टी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती भी बिजबेहरा सीट से हार गईं। पिछले चुनाव में पार्टी ने 28 सीटें जीती थीं।
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