सुप्रिया पांडेय, रायपुर। मानसिक प्रताड़ना, महिला उत्पीड़न, दहेज प्रथा जैसे मामलों के अलावा राज्य महिला आयोग के पास गुरुवार को अलग तरह का मामला आया. इसमें शासकीय कार्य में विभाजन से बचने के लिए आवेदिका की अधिकारी के खिलाफ की गई शिकायत को लैंगिक उत्पीड़न के मामले के तौर पर दर्ज कर लिया गया. आयोग ने मामले में फिर से जांच का निर्णय सुनाया.
महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया कि लैंगिक उत्पीड़न के मामले कार्रवाई चल रही है. मामले में पीड़िता को वर्क आर्डर दिया गया था, उसका विभाग चेंज किया गया था, उसने उस विभाग के आदेश को मानने से इंकार कर अधिकारी पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था. अज्ञानता में डीपीओ ने लैंगिक उत्पीड़न में बदल दिया, इस पर पीड़ित पक्षकार की पत्नी ने भी आवेदन लगाया था, जिस पर आज सुनवाई की गई.
अध्यक्ष ने बताया कि सुनवाई के दौरान डीपीओ ने स्वीकार किया कि लैंगिक उत्पीड़न का कानून 2013 का बहुत स्पष्ट है, लेकिन शिकायत में उन बिंदुओं में एक भी बात नहीं है. ऐसे में लैंगिक उत्पीड़न के तहत ऐसी कमेटी का गठन नहीं हो सकता, ना ही उसकी जांच हो सकती है. उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए आगामी सुनवाई पर अपनी रिपोर्ट देने के लिए बात कही है.