पाखरो टाइगर सफारी, अवैध कटान और निर्माण मामले में विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज होने के साथ ही जांच सवालों के घेरे में आ गई है. सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड शासन से भेजी करीब डेढ़ सौ पन्नों की जांच रिपोर्ट में सिर्फ एक आईएफएस अधिकारी को ही मुख्य आरोपी बनाया गया है, जबकि पहले हुई जांच में दो अन्य आईएफएस अधिकारियों के नाम सामने आए थे. बताया जा रहा है कि इन दो अफसरों को बचाने की कोशिश की जा रही है.
शासन की ओर से मुकदमे के आदेश के बाद जांच रिपोर्ट विजिलेंस को उपलब्ध करा दी गई है. रिपोर्ट के आधार पर विजिलेंस ने पूर्व आईएफएस अधिकारी किशन चंद को मुख्य आरोपी बनाते हुए नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया है. अन्य के खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई की बात कही जा रही है. मामले में शामिल बताए जा रहे दो अफसर शुरुआत से ही मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चाओं में रहे हैं.
अधिकारियों पर पहले भी हुई कार्रवाई मामले में इससे पहले भी अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है. सबसे पहले पाखरो के वन क्षेत्राधिकारी को निलंबित किया गया. इसके बाद कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ किशन चंद और फिर तत्कालीन मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग को निलंबित किया गया था. इसके अलावा कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया.
तीन रेंजर संग 37 अन्य भी आ सकते हैं लपेटे में
डेढ़ सौ पन्नों की जांच रिपोर्ट में मुख्य आरोपी पूर्व आईएफएस किशन चंद के अलावा 40 अन्य के नाम भी बताए जा हैं. इनमें तीन रेंजर शामिल होने की बात कही जा रही हैं. जांच रिपोर्ट में अन्य 37 कर्मचारी और निर्माण कार्य से जुड़े ठेकेदार के नाम भी बताए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, जांच रिपोर्ट में कई सफेदपोशों के नाम भी शामिल हैं, जो उस समय निर्माण कार्य में कहीं न कहीं शामिल थे.