आज के युवा नौकरी से ज्यादा खुद के कारोबार को तरजीह दे रहे हैं. ऐसे में कम पैसे में एक निश्चित आय तो मिलना इस बिजनेस में तय है. यह सुपरहिट बिजनेस से हर महीने लाखों की कमाई कर सकते हैं. इस कारोबार में सरकार भी आपकी मदद करेगी. हम बात कर रहे हैं बकरी पालन कारोबार की. बकरी पालन कारोबार पशुपालक को लिए बहुत ही लाभदायक है. भारत में बहुत से लोग बकरी पालन से मोटी रकम कमा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार की गोधन न्याय योजना हर दिन नया मुकाम हासिल कर रही है. इसके तहत अब गौठानों में भी बकरी प्रजनन केंद्र शुरू किया है. उच्च नस्ल की बकरीपालन की दिशा में हितग्राहियों को बढ़़ावा देने की दिशा मेें एक बड़ा कदम जिला प्रशासन दुर्ग ने उठाया है. गौंठानों में उच्च नस्ल की बकरियां उपलब्ध कराने उस्मानाबादी बकरियों का प्रजनन आरंभ किया है. इसके लिए कामधेनु विश्वविद्यालय सहयोग करेगा. यहां 25 बकरियों और 2 बकरों की एक युनिट की पहली खेप आई है. पशुपालक यहां से उच्च नस्ल की बकरियां ले जा सकेंगे. Read More – Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah में जल्दी हो सकती है नई दयाबेन की एंट्री, जानिए कौन होंगी एक्ट्रेस …

पशुपालक नहीं लेते बकरीपालन की रिस्क

आपको बता दें किसानों के बकरीपालन के क्षेत्र में ज्यादा रुचि नहीं लेने का कारण यह था कि यहां उच्च नस्ल की बकरियां उपलब्ध नहीं थी और उन्हें बाहर से मंगवानी पड़ती थी. जिसे लाने का ही व्यय काफी हो जाता था, जिसके कारण से पशुपालक बकरीपालन व्यवसाय में हाथ आजमाने से डरते थे. अब गौठान से ही पशुपालक यह उच्च नस्ल की बकरियां ले जा सकेंगे. इससे बकरीपालन को लेकर बढिय़ा वातावरण जिले में बनेगा और यहां के पशुपालक को भी फायदा होगा. Read More – अगर आप धूप से नहीं ले पा रहे हैं विटामिन D, तो ये आहार खाकर Body को दें पर्याप्त Vitamin D …

उस्मानाबादी नस्ल की बकरियों के बारे में

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फार बायोटेक्नालाजी इनफार्मेशन) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सामान्य रूप से बकरियों में एक बच्चे को जन्म देने की दर 61.96 प्रतिशत, दो बच्चे को जन्म देने की दर 37.03 प्रतिशत और तीन बच्चे को जन्म देने की दर 1.01 प्रतिशत होती है. इस लिहाज से उस्मानाबादी बकरियां गुणात्मक वृद्धि के दृष्टिकोण से काफी बकरीपालकों के लिए काफी उपयोगी साबित होती हैं. उस्मानाबादी प्रजाति की बकरियों की ट्विनिंग रेट अर्थात दो बच्चे देने की क्षमता लगभग 47 प्रतिशत तक होती है. इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी अच्छी होती है. बेहतर तरीके से पालन हो तो इनकी ग्रोथ काफी तेज होती है.