रायपुर। सरकार ने बोनस देकर किसानों की नाराज़गी को काफी हद तक नियंत्रित कर लिया. सरकार ने बोनस देने के फैसला लेकर किसानों के मुद्दे पर विरोधियों की धार कुंद करने की कोशिश की है. आखिर वो क्या कारण थे जिसने सरकार को बोनस देने पर मजबूर कर दिया.
सरकार 2100 रुपये समर्थन मूल्य और बोनस के वादे के साथ सत्ता में आई है. लेकिन तीन साल तक किसानों को कुछ नहीं मिला. किसान नाराज़ हो चले थे. जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे. ऐसे हालात में सरकार ने बोनस का ब्रम्हास्त्र चला है. न सिर्फ इस साल का बल्कि अगले साल भी बोनस देने की घोषणा करके सरकार ने चौंका दिया है. लेकिन बोनस देने के पीछे की वजह बनी राजनांदगांव और रायपुर की दो घटनाएं.
जानिये वो कौन से कारण थे जिसने सरकार को बोनस देने पर मजबूर कर दिया
पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से किसानों का प्रदर्शन चल रहा था, उससे सरकार को किसानों की नाराज़गी के संकेत मिलने शुरु हो गए थे. लेकिन 28 अगस्त को राजनांदगांव में एक घटना ने सरकार के कान खड़े कर दिये. 28 अगस्त को किसानों ने मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र राजनांदगांव में ऐसा प्रदर्शन किया कि सरकार के होश उड़ गए. बिना किसी राजनीतिक समर्थन के स्व: स्फूर्त करीब 20 हज़ार किसान सड़कों पर सरकार के खिलाफ उतर गए. एक छोटे से शहर में सड़क पर उतरे किसानों के निशाने पर क्षेत्र के विधायक और सांसद थे. विधायक यानि मुख्यमंत्री रमन सिंह और सांसद यानि उनके बेटे अभिषेक सिंह. इसी दिन चारामा और
इसके बाद रायपुर में कृषि विश्वविद्यालय में जिस तरीके से रमन सिंह की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े किसानों ने बोनस और समर्थन मूल्य की मांग कर दी उसने भी सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया. दोनों घटनाओं ने सरकार को ये जता दिया कि अगर अब किसानों के लिए बड़ी घोषणा नहीं की गई तो बीजेपी के लोगों का गांव तक जाना मुश्किल पड़ जाएगा और सरकार के लिए अगला चुनाव हाथ से निकल जाएगा.
बताया गया कि ये दोनों घटनाएं वो कारण बनी जिसके चलते सरकार को बोनस का फैसला करना पड़ा. इससे पहले मुख्यमंत्री से मिलने वाले तमाम नेता किसानों पर बीजेपी की कमज़ोर हो रही पकड़ की बात बताते रहते थे सूत्र के मुताबिक केंद्र सरकार बोनस के लिए पहले ही राज्यों को मना कर चुकी थी लिहाज़ा बोनस देने से पहले केंद्र की हरी झंडी ली गई और सभी पदाधिकारियों के सामने बोनस की घोषणा की गई ताकि बोनस की खबर को लेकर वो किसानों के बीच जाएं और उन्हें बताएं.
राजनांदगांव में किसानों की भीड़ और नाराज़गी देखिए
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