कुमार इन्दर, जबलपुर। एमपी में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण मामले पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की गई है. अधिवक्ता आदित्य संघी ने यह कैविएट दायर की है. हालांकि मामले में अभी 10 अगस्त को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई है. वहीं दूसरी तरफ मामले में ओबीसी के 13 फीसदी आरक्षण के होल्ड किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले को रिकॉल करने के लिए रिव्यू पिटीशन भी दाखिल कर दी गई है.

दरअसल ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने पर हाईकोर्ट (High Court) ने रोक बरकरार रखी है. जबलपुर हाईकोर्ट ने साफ किया है कि फिलहाल ओबीसी वर्ग को पहले की तरह 14 फीसदी आरक्षण ही दिया जा सकेगा. जिसको लेकर राज्य सरकार इस आदेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की मंशा जताई है. जिसको देखते हुए याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की गई है. कैविएट के तहत यदि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती देती है तो इस अध्यादेश का विरोध करने वाले याचिकाकर्ता के वकील को अपना पक्ष रखने की सुविधा मिल जाएगी.

क्या होती है कैविएट

कैविएट का मतलब है ऐसी याचिका जिसमें याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना अदालत अपना फैसला नहीं दे सकती है. यह कैविएट उच्चतम और उच्च न्यायालय में दाखिल की जाती हैं. कैविएट उस परिस्थिति में दाखिल किया जाता है जब याचिकाकर्ता को ऐसा पूर्वानुमान हो कि दूसरा पक्ष उसकी याचिका को चुनौती दे सकता या फिर उसे अदालत से खारिज करवा सकता है.

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रिव्यू पिटीशन दायर

वहीं इसी मामले में ओबीसी के 13 फीसदी आरक्षण के होल्ड किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट के अंतरिम फैसले को रिकॉल करने के लिए रिव्यू पिटीशन भी दाखिल कर दी गई है. अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने हाईकोर्ट में यह पिटीशन लगाई है. पिटीशन में EWS का 10% आरक्षण की तरह OBC को भी 13% अतिरिक्त आरक्षण निर्णयाधीन करने की मांग की है.

हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने पर सुनवाई की. हाईकोर्ट ने इस सुनवाई में ओबीसी वर्ग के 27 फीसदी आरक्षण पर अपनी रोक को बरकरार रखा है. वहीं कोर्ट ने इसके आदेश में अंतरिम बदलाव करते हुए ओबीसी वर्ग की सभी भर्तियों को 14 फीसदी रिजर्वेशन के साथ करने के आदेश दिए हैं. इस मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.

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क्या है पूरा मामला

प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी होने का हवाला देते हुए ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की याचिका हाईकोर्ट में लगाई गई थी. कांग्रेस ने अपने 15 महीने के कार्यकाल में ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया था. वहीं ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने पर आरक्षण का कुल कोटा 50 फीसदी से भी अधिक हो रहा है. इसे लेकर हाईकोर्ट में अलग-अलग पक्षों ने याचिकाएं भी लगाई है. जिस पर हाईकोर्ट की सुनवाई जारी है. रिजर्वेशन के फैसले की वजह से भर्ती प्रक्रियों में भी परेशानी हो रही थी, जिसे देखते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई की है, जहां ओबीसी वर्ग की भर्ती प्रक्रिया अभी 14% आरक्षण के अनुसार होगी.

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