नई दिल्ली। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अधीन केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। बोर्ड ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत असेसमेंट ईयर 2025–26 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है।

बता दें कि पहले यह तिथि 31 अक्टूबर 2025 निर्धारित थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 10 दिसंबर 2025 कर दिया गया है। यह निर्णय उन टैक्सपेयर्स पर लागू होगा जिनका उल्लेख धारा 139(1) के एक्सप्लेनेशन 2 के क्लॉज़ (a) में किया गया है, यानी ऐसे करदाताओं पर जिनके खातों का ऑडिट अनिवार्य है, जैसे कंपनियां, साझेदारी फर्म और बड़े व्यापारी।

ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की तिथि भी बढ़ी

CBDT ने इनकम टैक्स रिटर्न की डेडलाइन के साथ-साथ ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि भी आगे बढ़ा दी है।
पहले यह तिथि 30 सितंबर 2025 तय थी, जिसे पहले 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़ाया गया था। अब बोर्ड ने इसे और आगे बढ़ाते हुए 10 नवंबर 2025 तक बढ़ा दिया है।

इस फैसले से ऑडिट करवाने वाले टैक्सपेयर्स को अपने वित्तीय दस्तावेज तैयार करने, रिपोर्टिंग को अंतिम रूप देने और समय पर रिटर्न दाखिल करने में पर्याप्त समय मिलेगा।

क्या कहता है इनकम टैक्स एक्ट

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 139(1) के तहत प्रत्येक व्यक्ति या संस्था, जिसकी आय निर्धारित सीमा से अधिक है, को निर्धारित समय-सीमा के भीतर रिटर्न दाखिल करना होता है। धारा 139(1) के एक्सप्लेनेशन 2 के क्लॉज़ (a) में उन टैक्सपेयर्स का उल्लेख है जिनके खातों का ऑडिट आवश्यक है। जैसे कंपनियां, फर्म, LLPs, और ऐसे पेशेवर जिनकी सकल प्राप्ति निश्चित सीमा से अधिक हो।

क्यों बढ़ाई गई तिथि

वित्त मंत्रालय के अनुसार, कई करदाता समूहों, ऑडिट पेशेवरों और टैक्स कंसल्टेंट्स ने तकनीकी कारणों, दस्तावेज़ी देरी और ऑडिट प्रक्रियाओं में समय लगने की वजह से समयसीमा बढ़ाने की मांग की थी। इन अनुरोधों को ध्यान में रखते हुए सीबीडीटी ने राहत प्रदान की है ताकि टैक्सपेयर्स बिना किसी दंड के नियमानुसार रिटर्न फाइल कर सकें।

टैक्सपेयर्स के लिए राहत की खबर

सीबीडीटी का यह निर्णय देशभर के लाखों ऑडिटेड टैक्सपेयर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और कर सलाहकारों के लिए राहत लेकर आया है। अब टैक्सपेयर्स 10 नवंबर 2025 तक ऑडिट रिपोर्ट और 10 दिसंबर 2025 तक इनकम टैक्स रिटर्न जमा कर सकेंगे।

टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार समयसीमा बढ़ाना उचित कदम है, क्योंकि इस अवधि में कई कंपनियां वित्तीय समापन, टैक्स ऑडिट और रिपोर्ट फाइनलाइजेशन की प्रक्रिया में होती हैं। नई समयसीमा से टैक्स कंप्लायंस में सुधार होगा और गलतियों की संभावना भी कम रहेगी।

वित्त मंत्रालय ने सभी करदाताओं से अनुरोध किया है कि विस्तारित समयसीमा का लाभ उठाते हुए अपने आयकर रिटर्न और ऑडिट रिपोर्ट समय पर दाखिल करें ताकि बाद में किसी तरह की असुविधा न हो।

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