भोपाल/रायपुर। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है. निःशक्तजनों की संस्था के नाम पर हुए 1 हजार करोड़ के घोटाले के मामले में सीबीआई ने भोपाल में एफआईआर दर्ज कर ली है. सीबीआई ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला कायम किया है. इससे अधिकारियों को फौरी राहत मिली हैं. बिलासपुर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने हाल ही इस मामले में लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को अपराध दर्ज करने के आदेश के दिए थे.
यह है मामला
इस मामले में रायपुर के कुशालपुर में रहने वाले कुंदन सिंह ठाकुर नाम के एक व्यक्ति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था. याचिका में सेवानिवृत्त हो चुके प्रदेश के दो मुख्य सचिव और वर्तमान में कार्यरत आईएएस अधिकारियों पर राज्य स्रोत निशक्त जन संस्थान नामक संस्थान बनाकर सरकारी विभागों से हर महीने लाखों रुपए कर्मचारियों की सैलरी के नाम तथा अन्य कार्यों के लिए रुपये आहरित किये जाने का आरोप लगाया था.
घोटाले का ऐसे हुआ था खुलासा
याचिकाकर्ता के मुताबिक राजधानी रायपुर के माना में चार हजार दिव्यांगों के उपचार के नाम पर घोटाले को अंजाम दिया गया. आरोपियों द्वारा उपचार के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किया गया लेकिन केवल कागजों पर. सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह थी कि याचिकाकर्ता कुंदन सिंह ठाकुर को भी कर्मचारी बताकर उनके नाम से भी पैसे आहरित किया जा रहा था.
जब उन्हें इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सारे दस्तावेज इकट्ठा कर हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट हाईकोर्ट की एकलपीठ न्यायमूर्ति मनींद्र श्रीवास्तव ने इस प्रकरण की सुनवाई के बाद माना था कि यह साधारण मामला नहीं है, लिहाजा इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया गया था और को डबल बेंच में ट्रांसफर कर दिया था.
विभागीय जांच भी होगी
जिसकी सुनवाई डबल बैंच में हुई और 31 जनवरी कोर्ट ने सभी के सीबीआई को सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किये जाने का आदेश दिया था. इसके साथ ही घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ अलग से विभागीय जांच किये जाने का आदेश भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को दिया था.