रायपुर. न्यू सेशन से सीबीएसई स्टूडेंट्स को वोकेशनल सब्जेक्ट्स भी पढ़ाए जाएंगे. इससे स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ हुनरमंद भी वन सकेंगे. इसके लिए स्कूलों में लैब बनाई जाएंगी, जहां स्टूडेंट्स को टेक्नोलॉजी के साथ दूसरी स्किल्स भी सिखाई जाएगी. न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत बोर्ड ने सभी स्कूलों को गाइडलाइन जारी कर दी है. दरअसल, बच्चे क्लास 8वीं तक पढ़ाई के साथ दूसरे स्किल भी सीखते है लेकिन क्लास 9वीं में आते ही उनका सिलेवस के साथ टेंशन भी बढ़ जाती हैं और कई बार उनके नंबरे पर भी इफेक्ट पढ़ता है. सीबीएसई ने बच्चों के इस स्ट्रेस को कम करने के लिए और स्टडीज को और भी क्रिएटिव बनाने के लिए क्लास 9वीं और 10वीं के स्टूडेंटस के लिए नए कोर्स लाए हैं. जिससे उनका फिजिकल के साथ मेंटल डेवलपमेंट भी हो सके.

लैब से स्टूडेंट्स एक्सपेरिमेंट्स भी कर सकेंगे

कौशल बोध सीबीएसई की एनईपी के तहत वोकेशनल एजूकेशन के लिए नई पहल है जिसे क्लास 6 से 8 तक के स्टूडेंट्स के लिए डिजाइन किया गया है. यह कार्यक्रम में एकेडमिक नॉलेज के साथ-साथ बच्चे प्रैक्टिकल स्किल्स के महत्व को पहचान सकेंगे. इसका मकसद यह है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ काम से जुड़ी जरूरी बातें और हुनर भी सिखाए जाए, इससे बच्चे कम उम्र में ही काम की दुनिया को समझना शुरू कर सकें और जीवन में काम आने वाले जरूरी स्किल्स सीख सकें. इस पहल के जरिए बच्चों को अलग-अलग तरह के कामों के लिए जागरूक और तैयार किया जाएगा. इससे वे आगे चलकर किसी भी काम को समझदारी से कर सकेंगे और पढ़ाई के साथ-साथ असली जिंदगी के लिए भी तैयार होंगे.

ये सब्जेक्ट पढ़ाए जाएंगे

नए सेशन से स्टूडेंट्स को आर्ट इंटीग्रेशन, फिजिकल एक्टिविटी ट्रेनर, वेल्यू एजूकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा साइंस, कोडिंग और व्यूटी वेलनेस जैसे सबजेक्ट पढ़ाए जाएंगे. आर्ट इंटीग्रेशन का मतलब सिर्फ आर्ट नहीं होगा इसमें स्टूडेंट्स के सिए सभी सवजेक्म में आर्ट को इंक्लूड किया जाएगा. जैसे हिस्ट्री में अगर कोई सबजेक्ट पढ़ाया जाएगा तो उसमे उन्हें स्किट के जरिए समझाया जाएगा जिससे वो स्टडी के बजाए एक्पेरिमेंटल स्टडी भी कर सकें.

प्रिंसिपल्स को भी दी जा रही ट्रेनिंग

एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि वोकेशनल स्टडी को प्रमोंट करने के लिए स्टूडेंट्स के साथ प्रिंसिपल्स को भी ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि वो समझ सकें कि कैसे वोकेशनल स्टडी को इंप्लीमेंट करना है. इसके लिए स्कूल के प्रिंसिपल्स को कॉलेजेस और अच्छे इंस्टीट्यूट में भेजा जाएगा ताकि वो जान सके टेक्नोलॉजी में और दूसरे कोर्स में क्या क्या चीजें हैं और उन्हें कैसे स्कूल में इंप्लीमेंट करना है. सभी स्कूल के प्रिंसिपल्स को ईयर में एक विजिट दी जाएगी जिसमें वो कॉलेजेस में जाकर एक्सप्लोर कर सकेंगे.

स्टूडेंट्स को ये बेनिफिट मिलेंगे

  • इंडिपेंडेंट बनेंगे

जब बच्चे खुद बनाना सीखेंगे तो उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस भी बढेगा.

  • इंट्रस्ट के हिसाब से सीखना

बच्चों को अपनी पसंद का काम चुनकर सीखने की आजादी होगी

  • कम्प्लीट डेवलपमेंट

बच्चों का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास एक साथ होगा.

  • काम की शुरुआती समझ मिलेगी

बच्चे कम उम्र से ही अलग-अलग कामों से जुड़ना सीखेंगे

  • पढ़ाई के साथ-साथ हुनर भी

किताबों के साथ-साथ बच्चों को हाथ से काम करने का अनुभव मिलेगा.

  • फ्यूचर के करियर की तैयारी

बच्चे समय से पहले ही यह समझ पाएंगे कि किस क्षेत्र में जाना है