पंकज सिंह भदौरिया. दंतेवाड़ा. आदिवासियों के सबसे बड़े आंदोलन भूमकाल के मुख्य सूत्रधार रहे क्रांतिकारी गुंडाधुर की स्मृति में आज भूमकाल दिवस मनाया गया. ढोल-नगाड़ों की धुन ने समा बांधा और सबका मन मोह लिया. दंतेवाड़ा में आज सीपीआई की नेतृत्व में गुंडाधुर की 107वीं स्मृति दिवस मनाई गई. कार्यक्रम आयोजन सभा स्थल में आदिवासी बंधु ढोल-नगाड़ों की धुन पर जमकर थिरके.

आपको बता दें कि 1910 में उठे भूमकाल गदर जन आंदोलन की नींव गुंडाधूर ने ही आदिवासियों के बीच रखी थी. जिनके कुशल नेतृत्व ने अंग्रेजी हुकूमत के छक्के छुड़ा दिये थे. 84 परगनो में बटे बस्तर के 46 परगनो तक उन्होंने उस दौर पर आदिवासियों को गोरी सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट कर लिया था. जल जंगल और जमीन की और रीति रिवाज परम्पराओ के हितों की रक्षा में उठे भूमकाल आंदोलन के इस महा नायक गुंडाधूर की स्मृति में 10 फरवरी को मनाया जाता है.

एसकेएमएस के राष्ट्रीय सचिव राजेश संधु ने बताया कि  आदिवासी रीति रिवाजों पर अंकुश लगाने, जल-जंगल-जमीन की लड़ाई परम्पराओ के हितों की लड़ाई महान क्रांतिकारी गुंडाधूर ने कर आजादी का बिगुल फूंका था.