नई दिल्ली। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए विवादित बयान का मामला ठंडा पड़ता नजर नहीं आ रहा है. इस कड़ी में अब देश के 264 प्रतिष्ठित नागरिकों ने मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि की ‘हेट स्पीच’ पर संज्ञान लेने की अपील की है.
सीजेआई चंद्रचूड़़ को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान से सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों को चोट लगी है, और उनमें रोष है. इस पत्र में शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत सरकार के केस का जिक्र करते हुए कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने ही देश में बढ़ते हेट स्पीच के मामलों को लेकर नाराजगी जताई थी और सरकार व पुलिस प्रशासन से बिना औपचारिक शिकायतों का इंतजार किए स्वतः संज्ञान लेने का आदेश दिया था.
पत्र में कहा गया है कि आप सनातन धर्म के महत्ता से अच्छी तरह परिचित हैं. हमारे देश का संविधान अपने इच्छा से पूजा करने और ईश्वर को मानने की स्वतंत्रता देता है. हम लोग उदयनिधि के बयान से बेहद चिंतित हैं. इस तरह का बयान भारत की एक बड़ी आबादी को चोट पहुंचाने वाला है, और संविधान के मूल सिद्धांत को भी ठेस पहुंचाता है. तमिलनाडु की सरकार ने स्टालिन के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने से इनकार कर दिया और उनके बयान का ही समर्थन करने लगी.
इसमें आगे कहा गया, जैसा कि राज्य की सरकार ने ऐक्शन लेने से इनकार कर दिया और कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना की है. वह कानून का मजाक बना रही है. इसलिए उच्चतम न्यायालय से अनुरोध है कि राज्य सरकार को इस मामले की जिम्मेदारी लेते हुए निर्णायक कदम उठाने के लिए आदेशित किया जाए. इस पत्र में कोऑर्डिनेटर के तौर पर दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एसएन ढींगरा और शिपिंग सेक्रेटरी रहे आईएएस अधिकारी गोपाल कृष्ण का नाम है. इसके अलावा 262 अन्य लोगों ने साइन किए हैं.
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