भारी कर्ज के बोझ तले दबी ‘आप’ की पंजाब सरकार को केंद्र की भाजपा सरकार ने बड़ा झटका दिया है। केंद्र सरकार के केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पंजाब सरकार की उधार लेने की सीमा में 18,000 करोड़ रुपए की कमी की है।

केंद्र सरकार के इस फैसले से आप सरकार को बड़ा झटका लगा है। उल्लेखनीय है कि पंजाब के सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत उधार लेने की सीमा तय करता है। आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब की कर्ज सीमा सालाना 39,000 करोड़ रुपए है।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद पंजाब की सालाना उधारी सीमा 18,000 करोड़ रुपए घटाकर सिर्फ 21,000 करोड़ रुपए कर दी गई है। यानी पंजाब सरकार अब 21 हजार करोड़ रुपए तक का ही कर्ज ले सकेगी।

उधर, भाजपा की केंद्र सरकार ने पूंजीगत संपत्ति के विकास के लिए पंजाब को दी जाने वाली 2600 करोड़ रुपए की सालाना ग्रांट पर भी रोक लगा दी है। पंजाब सरकार इस फंड का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए करती है।

केंद्र सरकार के इस फैसले से पंजाब सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि पंजाब ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर दी है। केंद्र सरकार को डर है कि अब पंजाब सरकार को मिलने वाला राज्य पेंशन फंड और विकास अथारिटी के तहत मिलने वाला सालाना 3000 करोड़ रुपए का फंड भी मिलना बंद हो जाएगा।

ये है कारण

केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के बीच कई मुद्दों को लेकर तनातनी चल रही है। केंद्र सरकार का कहना है कि पंजाब सरकार 'पूंजीगत व्यय' के नियमों का उल्लंघन कर रही है। दूसरी तरफ केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का करीब 800 करोड़ का फंड जारी नहीं कर रही है। केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है कि आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स का नाम 'आम आदमी क्लीनिक' रखा गया है और इन इमारतों पर मुख्यमंत्री भगवंत मान की तस्वीर लगाई गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलवीर सिंह ने इस मामले को केंद्र सरकार के सामने भी रख चुके हैं। यहां तक ​​कि केंद्र सरकार ने भी अभी तक पंजाब सरकार को ग्रामीण विकास फंड के तहत करीब चार हजार करोड़ रुपए जारी नहीं किए हैं। पंजाब सरकार का बकाया जीएसटी मुआवजा भी रुक गया है। वहीं पंजाब वित्त विभाग के अधिकारी ने कहा कि पंजाब सरकार पूरी तरह वित्तीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन अधिनियम का पालन कर रही है, इसलिए कर्जा सीमा में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। केरल और हिमाचल को भी केंद्र सरकार से झटका लगा है। कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने भी केरल सरकार के लिए कर्ज लेने की सीमा 32,442 करोड़ से घटाकर 15,390 करोड़ कर दी और यह कमी सालाना 17052 करोड़ है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के लिए उधार लेने की सीमा में भी सालाना 5500 करोड़ रुपए की कमी की गई है।

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