नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एनईईटी-पीजी काउंसलिंग के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर चल रहे दाखिले के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण के मौजूदा मानदंडों को जारी रखने का फैसला किया है। एनईईटी-पीजी काउंसलिंग का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। केंद्र सरकार ने अदालत से कहा है कि उसने ईडब्ल्यूएस के लिए मौजूदा मानदंडों को बनाए रखने का फैसला किया है, क्योंकि मानदंड को बीच में बदलने से जटिलताएं पैदा होंगी।

सरकार ने 31 दिसंबर को एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि उसने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण के मानदंडों की समीक्षा के लिए समिति की सिफारिशों को उन परिवारों के अभ्यर्थियों के लिए स्वीकार कर लिया है, जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपये तक है। लेकिन ऐसे अभ्यर्थियों को छोड़कर, जिनके परिवार के पास पांच एकड़ कृषि भूमि है और आय ईडब्ल्यूएस श्रेणी से ऊपर है।

ईडब्ल्यूएस आरक्षण के लिए मानदंड की समीक्षा पर अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि 2019 से चल रही मौजूदा प्रणाली को बिगाड़ने से लाभार्थियों के साथ-साथ अधिकारियों के लिए भी अधिक जटिलताएं पैदा होंगी।

विशेषज्ञ समिति ने यह कहते हुए कि मानदंड को बीच में बदलने से और अधिक जटिलताएं पैदा होंगी, सिफारिश की है कि संशोधन अगले शैक्षणिक वर्ष में लागू किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 6 जनवरी को करेगा। हालांकि, देशभर के रेजिडेंट डॉक्टरों ने नीट-पीजी काउंसलिंग 2021 में देरी का विरोध किया। आंदोलनकारी रेजिडेंट डॉक्टरों ने 31 दिसंबर को अपना 14 दिन का देशव्यापी आंदोलन वापस ले लिया है।