Election Results 2024: लोकसभा चुनाव के आज नतीजे आने वाले है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से राजनीतिक हलकों में अगली सरकार को लेकर कई भविष्यवाणियां और दावे किए जा रहे हैं. दिल्ली की सभी सीटों पर किस पार्टी की जीत होती है, इससे अगली सरकार की भविष्यवाणी सबसे सटीक तरीके से की जा सकती है.
17 लोकसभा चुनावों में से 9 बार दिल्ली की सभी सीटों पर एक ही पार्टी ने जीत हासिल की है. पिछले लोकसभा चुनावों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1967, 1989 और 1991 को छोड़कर, हर बार जिस भी पार्टी ने दिल्ली में सबसे ज्यादा सीटें जीतीं, केंद्र में उसी की सरकार बनी.
1952 से 1962 तक
1952 में पहले लोकसभा चुनाव हुए, तब दिल्ली में केवल तीन सीटें थीं. इनमें से एक सीट पर दो सांसद चुने जाते थे. कांग्रेस ने तीनों सीटों पर जीत हासिल की और केंद्र में पहली सरकार बनाई. 1957 में सीटों की संख्या चार हो गई और सभी पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. 1962 में सीटें बढ़कर पांच हो गईं और कांग्रेस ने फिर से सभी सीटों पर कब्जा कर लिया. 1957 और 1962 में कांग्रेस ने दिल्ली की सभी सीटें जीतीं और केंद्र में अपनी सरकार बरकरार रखी.
1967 से 1989 तक
1967 में दिल्ली में लोकसभा सीटों की संख्या बढ़कर 7 हो गई. इस चुनाव में भारतीय जन संघ ने 6 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस केवल एक सीट पर सिमट गई. इसके बावजूद, कांग्रेस केंद्र में सरकार बनाने में सफल रही. यह पहली बार था जब कांग्रेस के प्रभुत्व को चुनौती मिली.
1971 के चुनाव में कांग्रेस ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर कब्जा कर लिया और केंद्र में अपनी सत्ता बनाए रखी. 1977 में आपातकाल विरोधी लहर के कारण कांग्रेस दिल्ली में एक भी सीट नहीं जीत सकी. तब भारतीय लोक दल ने सभी सात सीटें जीतीं और मोरारजी देसाई की अगुवाई में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी.
1980 में कांग्रेस ने दिल्ली की 7 में से 6 सीटें जीतीं और केंद्र में जोरदार वापसी की. 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर के चलते कांग्रेस ने सभी सात सीटें जीतीं और राजीव गांधी की सरकार बनी.
1989 के चुनाव से पहले बोफोर्स घोटाला सामने आने के कारण कांग्रेस केवल दो सीटें ही जीत सकी, जबकि बीजेपी ने 4 सीटों पर कब्जा किया. यह वह साल था जब बीजेपी मुख्य विपक्ष के रूप में उभरी और वीपी सिंह की अगुवाई में दूसरी गैर-कांग्रेसी सरकार बनी.
1991 से 2014 तक
1991 के चुनाव में कांग्रेस ने 2 और बीजेपी ने 4 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन केंद्र में नरसिम्हा राव की अगुवाई में कांग्रेस ने अल्पमत सरकार बनाई. 1996 में कांग्रेस का प्रदर्शन कमजोर रहा और वह दिल्ली की केवल दो सीटें ही जीत सकी. दूसरी ओर, बीजेपी ने 7 में से 5 सीटें जीतीं और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन बहुमत न होने के कारण उन्हें 13 दिन में ही इस्तीफा देना पड़ा. बाद में एचडी देवेगौड़ा की अगुवाई में गठबंधन सरकार बनी.
1998 के चुनाव में कांग्रेस ने 1 और बीजेपी ने 6 सीटें जीतीं. केंद्र में फिर से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी, जो जल्दी ही गिर गई. 1999 के चुनाव में बीजेपी ने सभी सात सीटों पर कब्जा कर लिया और केंद्र में अपनी सरकार बनाए रखी.
2004 के चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और दिल्ली की 7 में से 6 सीटें जीतीं, जिसके बाद केंद्र में यूपीए की सरकार बनी. 2009 में कांग्रेस ने दिल्ली की सभी सीटें जीतीं और केंद्र में दोबारा अपनी सरकार बनाई.
हालांकि, 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सीटें जीत लीं और नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बनी. 2019 में भी बीजेपी ने दिल्ली की सभी सीटें जीतकर सत्ता बनाए रखी.
दिल्ली में पार्टियों का प्रदर्शन
कांग्रेस ने तीन बार – 1971, 1984 और 2009 में दिल्ली की सभी सात सीटों पर कब्जा किया. वहीं, बीजेपी ने 1999, 2014 और 2019 में सभी सीटें जीतीं. बीजेपी 1989, 1991, 1996 और 1998 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.
1989 के चुनाव में पहली बार दिल्ली की सात सीटों पर तीन पार्टियों के सांसद चुने गए थे. बीजेपी ने 4, कांग्रेस ने 2 और जनता दल ने 1 सीट जीती थी. 1998 के बाद से केंद्र में जीतने वाली पार्टी ने दिल्ली में 6 से कम सीटें नहीं जीतीं.
2024 के चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लड़ रही हैं. कांग्रेस 3 सीटों – चांदनी चौक, उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी दिल्ली पर तो आम आदमी पार्टी पश्चिमी, पूर्वी, दक्षिणी और नई दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ रही है. अब देखना होगा कि इस बार दिल्ली पर किसका कब्जा होता है.
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