रायपुर। भाजपा नेता एवं वरिष्ठ पूर्व विधायक परेश बागबाहरा ने केन्द्र शासन के विद्युत संसोधन बिल 2020 का स्वागत करते हुए कहा कि देश के बिजली के इतिहास में यह संसोधन बिल, मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने से कमीशनखोर एवं भ्रष्टाचारी शासन एवं प्रशासन को ही नुकसान होगा जो कि जनता की गाढी कमाई को लूट कर सेंट्रल एयर कंडीशनर (ए. सी.) में नोटो के बिस्तर मे सोते रहे है । इस संसोधन के बाद किसानों, आम उपभोक्ताओं को डिजिटल इंडिया की डी.बी.टी. (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की पद्धति से बिजली सब्सिडी का नगद रूपया किसानों, आम उपभोक्ताओ के खाते में सीधी जमा होगा । इस बिल के पहले जिसका कि आधे से ज्यादा रूपया शासन-प्रशासन में बैठे बिचैलिये खा जाते थे ।

उन्होंने कहा कि प्रदेशों में चल रहे अधिकांश बिजली बोर्ड राजनैतिक एवं प्रशासनिक भ्रष्टाचार के अड्डे बने हुए है । ये बिजली कंपनियाॅं किसानों एवं उपभोक्ताओं की आड़ में मनमाने ढ़ंग से बिजली वितरण में, बिजली की मात्रा में नुकसान, कृषि क्षेत्र में दिखाने का गंदा खेल खेलते रहे है । इस बिल के लागू होने के बाद, बिजली का मीटर हरेक उपभोकाओ के पास लगने से, उपयोग किऐ जाने वाले बिजली जिसकी गणना स्मार्ट बिजली के मीटर से होगा इससे प्रशासनिक अधिकारियों की चोरी पकड़ी जाएगी और भ्रष्टाचार रुकेगा तथा बिना बिजली कटौती के गुणवत्ता पूर्ण बिजली 24 घंटे मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस बिल के लागू होने से राज्य सरकारें किसानों एवं उपभोक्ताओं को बिजली, मुफ्त या कम कीमत में बिना हस्तक्षेप दे पाऐंगे ।

परेश बागबाहरा ने कहा कि बिजली सेक्टर संविधान की समवर्ती सूचि (केन्द्र एवं राज्य) के अंतर्गत आता है अतः देश के अधिकांश राज्य सरकारें, केन्द्र शासन के इस संशोधित अधिनियम के मसौदे से सहमत है ताकि किसानों को, उपभोक्ताओं को लगातार अच्छी गुणवत्ता वाली बिजली या तो मुफ्त या कम कीमत में मिले एवं बिजली बोर्ड आर्थिक रूप से मजबूत हो सके । उन्होंने कहा कि इस प्रकार के नियमों का लाभ गुजरात, दिल्ली, आन्ध्रप्रदेश एवं कर्नाटक जैसे राज्य आंशिक रूप से ले रहे है, जिसके कारण वहाॅं के बिजली बोर्ड एवं उपभोक्ता फायदा पा रहे हैं तथा जहाॅं तीस प्रतिशत बिजली वितरण में नुकसान (चोरी एवं रिश्वतखोरी) दिखाया जाता था, अब वहाॅं वो 10 से 15 प्रतिशत बिजली का ट्रांजिट लॉस हो रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के अभी 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में से 90 हजार करोड़ रूपये बिजली कंपनियों को नुकसान की भरपाई के लिए दिया गया है ।