भारत सरकार ने दक्षिण पूर्व एशियाई (South East Asia) देशों में फंसे 266 भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया है. सभी नागरिक साइबर अपराध केंद्रों में कैद थे. ये भारतीय नागरिक नौकरी के झांसे में आकर इन देशों में फंसे हुए थे. इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs of India) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने बुधवार को दी. इस घटना के बाद विदेश मंत्रालय ने भारतीयों को विदेश में नौकरी लेने से पहले पूरी जांच करने की सलाह दी है.

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प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया कि भारत सरकार ने कल भारतीय वायुसेना के विमान से 266 भारतीयों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था की. जिन्हें दक्षिण पूर्व एशिया के साइबर अपराध केंद्रों से रिहा कराया गया. गौरतलब है कि इससे पहले सोमवार को भी इसी तरह 283 भारतीयों को वापस लाया गया था.

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विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय दूतावास ने म्यांमार और थाईलैंड सरकारों के साथ मिलकर उनकी रिहाई सुनिश्चित करने और उनके स्वदेश वापसी में सहायता करने के लिए काम किया है. इससे पहले दिसंबर में भी भारतीय दूतावास ने म्यांमार के म्यावाडी में नौकरी घोटाले के परिसर में फंसे छह भारतीय नागरिकों को रिहा करने की घोषणा की थी.

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इस घटना के बाद विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सलाह दी है कि कि वे विदेश में स्थित मिशनों के माध्यम से विदेशी नियोक्ताओं की साख की पुष्टि करें और नौकरी की पेशकश स्वीकार करने से पहले भर्ती एजेंटों और कंपनियों के पिछले रिकॉर्ड की जांच करें.

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गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र साइबर क्राइम केंद्र

बता दें कि थाईलैंड, लाओस और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से मिलने वाली दक्षिण-पूर्व एशिया का गोल्डन ट्राइंगल क्षेत्र साइबर क्राइम का केंद्र है. यहां से साइबर फ्रॉड के लिए फर्जी कॉल सेंटर संचालित होते हैं. भारत वापस लाए गए पीड़ितों में देश के अलग-अलग राज्यों के लोग शामिल हैं. म्यांमार सरकार ने बंधकों को छुड़ाने और उन्हें थाईलैंड शिफ्ट करने के लिए अपनी सेना को तैनात किया, जहां से उन्हें अब भारत वापस लाया गया.

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