Central government End No Detention Policy: केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है. अब 5वीं और 8वीं कक्षा में फेल होने वाले स्टूडेंट्स (Students) को अगली कक्षा में प्रमोशन (Promotion) नहीं दिया जाएगा. इन कक्षाओं के वार्षिक परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को दूसरी बार परीक्षा होगी अगर इसमें भी छात्र फेल हो जाते है तो नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) के तहत मिलने वाला लाभ उन्हें नहीं मिल पाएगा. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी बच्चें को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा. छात्रों की प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक उन्हें निष्कासित नहीं किया जाएगा.

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केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति के तहत छात्रों की सीखने की क्षमता को बेहतर बनाने और एकेडमिक परफॉर्मेंस में सुधार के लाने के लिए ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने का फैसला लिया है. यह नीति लंबे समय से चर्चा में थी, लेकिन अब नई व्यवस्था के तहत क्लास 5 और 8 में वार्षिक परीक्षा में असफल होने वाले स्टूडेंट्स को फेल किया जाएगा.

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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने प्रारंभिक शिक्षा गुणवत्ता सुधार करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है, जिसके तहत स्कूलों को साल के अंत में होने वाली परीक्षा में सफल नहीं होने वाले छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने की अनुमति दी गई थी.

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शिक्षा मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों पर यह नियम लागू होगा. केंद्र सरकार के अनुसार स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है. इसलिए राज्य इस मामले में अपना निर्णय ले सकते हैं.

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बता दे कि देश के 16 राज्यों और दिल्ली सहित 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इन दो कक्षाओं के लिए नो-डिटेंशन पॉलिसी को पहले ही खत्म कर दिया है. सरकार ने साल 2010-11 से 8वीं क्लास तक परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी. इससे छात्र फेल होने के बावजूद अगली क्लास में प्रमोट हो जाते थे. लेकिन इसका प्रारंभिक शिक्षा में काफी प्रभाव पड़ने लगा धीरे-धीरे शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट आने लगी. इसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम को प्रभावित करने लगा. काफी लंबे समय से इस मामले पर विचार-विमर्श किया जा रहा था. अब नियमों में बदलाव कर इसे खत्म कर दिया गया है.

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शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार ने बताया कि यह फैसला बच्चों के पढ़ाई के परिणाम सुधारने के उद्देश्य से लिया गया है. उनका कहना है कि बच्चों की सीखने की क्षमता में गिरावट को रोकने के लिए इस कदम को जरूरी समझा गया.मंत्रालय ने विशेष रूप से क्लास 5 और 8 पर ध्यान केंद्रित किया है, क्योंकि इन क्लासओं को बुनियादी शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. इस नई नीति से स्टूडेंट्स और टीचर्स दोनों को पढ़ाई के प्रति अधिक जिम्मेदार बनाने का प्रयास किया गया है.

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लोकसभा में पेश किया गया था संसोधन विधेयक

जुलाई 2018 में लोकसभा में राइट टु एजुकेशन को संशोधित करने के लिए बिल पेश लाया गया था. इसमें स्कूलों में लागू ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म करने की बात थी. इस बिल में 5वीं और 8वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए रेगुलर एग्जाम्स की मांग की गई थी. इसके बाद 2019 में राज्यसभा में ये बिल पारित किया गया जिसके बाद राज्यों के नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म करने अधिकार मिल गया.

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