रायपुर। राज्य के तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए बीमा योजनाओं का क्रियान्वयन भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के माध्यम से किया जा रहा था। भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के द्वारा लिए गए निर्णय अनुसार इस बीमा योजना को समाप्त कर दिए जाने के बाद राज्य सरकार तेंदूपत्ता संग्राहकों को बीमा सुरक्षा का लाभ देने सहायता अनुदान उपलब्ध कराने योजना प्रांरभ करने जा रही है जिससे उन्हें बीमा सुरक्षा का लाभ मिलेगा। उक्त जानकारी प्रदेश के वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल अनुसुईया उईके को लिखे पत्र में दी है। वनमंत्री ने राज्यपाल को बताया है कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति योजना की शैक्षणिक वर्ष 2017-18 तथा 2018-2019 की कोई भी राशि वितरण हेतु शेष नहीं है। राज्यपाल को यह भी जानकारी दी गई है कि राज्य शासन द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन वर्ष 2018 हेतु प्रोत्साहन की राशि के वितरण का निर्णय लिया जा चुका है।

तेंदूपत्ता संग्राहकों के बीमा योजना के संबंध में वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल अनुसूईया उईके को बताया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के माध्यम से दिनांक 1 मार्च से किया गया. यह योजना भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा असंगठित कर्मकारों की सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 के प्रावधानों के अंतर्गत प्रारंभ की गई थी, जिसमें 50 प्रतिशत प्रीमियम की राशि भारत सरकार द्वारा और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को उपलब्ध कराने का प्रावधान था.

इन योजनाओं के अंतर्गत दिनांक 1 मार्च को 10,12,860 संग्राहकों का विवरण भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को उपलब्ध कराया गया था। भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा अपने पत्र 5 मार्च और 25 जून 2018 के माध्यम से शेष गलत एवं अपूर्ण डाटा होने का उल्लेख करते हुए 3,34,336 संग्राहकों को योजना में शामिल नहीं किया गया.

वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने राज्यपाल अनुसुईया उईके को बताया कि तेंदूपत्ता संग्राहकों को राज्य शासन द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन वर्ष 2018 हेतु प्रोत्साहन पारिश्रमिक राशि के वितरण का निर्णय लिया जा चुका है। शीघ्र ही वितरण का कार्य किया जाएगा। तेंदूपत्ता संग्रहण सीजन वर्ष 2019 के संग्रहित, भण्डारित तेंदूपत्ता का विक्रय पूर्ण नहीं हुआ है, विक्रय उपरांत लाभ की गणना करते हुए प्रोत्साहन पारिश्रमिक का वितरण की कार्यवाही किया जाना संभव होगा।