दिल्ली. देश से गरीबी दूर करने सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है. जिसका फायदा देश के करीब 22.89 करोड़ लोगों को मिलेगा. जो गरीबी रेखा से नीचे हैं. सरकार देश के गरीबों को मिलने वाले भत्ते में बदलाव करने जा रही है. दरअसल, श्रम मंत्रालय न्‍यूनतम मजदूरी के बजाए लिविंग वेज देने की योजना बना रही है, जिससे गरीबों को जीवन का स्तर को बढ़ाया जा सके, या फिर ऐसे कहें कि देश से गरीबी मिटाई जा सके. सरकार इसके लिए इसमें महंगाई को ध्‍यान में रखते हुए बदलाव किए जाएंगे.

ये है योजना?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिहाड़ी मजदूरों को 2030 तक गरीबी रेखा से निकालने के लिए श्रम मंत्रालय मिनिमम वेज न देकर लिविंग वेज देने की योजना बना रही है. जिसको लेकर तेजी से मंथन किया जा रहा है. मामले से जुड़े एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने जानकारी दी है कि इसके लिए अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से भी मदद ली जाएगी, ताकि इस योजना को धरातल पर उतारने में मदद मिले.

2024 में लोकसभा चुनाव में डालेगा असर

श्रम मंत्रालय ने अपने अधिकारियों को इस योजना के लिए इससे होने वाले रिजल्ट के मूल्‍यांकन कर रिपोर्ट बनाई जाए ताकि इसका नफा और नुकसान पता चल सके. इतना ही नहीं, इस योजना को जल्दी पूरा करने के लिए ILO के सदस्‍यों ने लिविंग वेज को समझने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र से भी मदद मांगी है. साल 2024 में लोकसभा चुनाव है और सरकार जल्द से जल्द इस योजना को लागू करना चाहती है. दरअसल, श्रम मंत्रालय का मानना है कि, लिविंग वेज भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है और इसका बड़ा राजनीतिक असर भी होगा.

कितना होगा फायदा

बता दें कि, लिविंग वेज मजदूरों की जिंदगी छोटी जरूरतों को पूरी करने के लिए दिया जाता है, जबकि मिनिमम वेज कानून से फिक्स होता है. यानी इसमें काम के बदले आमदनी का नियम होता है. वहीं भारत में अभी मिनिमम वेज यानी न्‍यूनतम मजदूरी 178 रुपये है. जबकि अगर इसकी जगह लिविंग वेज दिया जाए तो यह रकम करीब 25 फीसदी बढ़ सकती है.