जम्मू-कश्मीर में जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल हो सकता है. केंद्र की तरफ से जल्द प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. आधिकारिक तौर पर इसे लेकर कुछ नहीं कहा गया है. सरकार बनाने के बाद पहली ही बैठक में, बुधवार शाम दिल्ली में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रस्ताव पारित किया.

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सूत्रों ने बताया आधे घंटे तक चली बैठक काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में रही. जम्मू और कश्मीर का राज्य दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया शुरू करने का गृहमंत्री ने नई सरकार को भरोसा दिया है,’

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी, जिसमें उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री को जम्मू-कश्मीर की स्थिति से अवगत कराया और राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर भी चर्चा की. जम्मू-कश्मीर 2019 में केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से पुलिस बल केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है.

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दिल्ली में अपने प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात करेंगे और संभावना है कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मिल सकते हैं. 90 सीटों वाली जम्मू और कश्मीर विधानसभा में एनसी ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी.

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उमर अब्दुल्ला मंत्रिमंडल के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें केंद्र सरकार से राज्य का दर्ज बहाल करने का अनुरोध किया गया है. ‘गुरुवार को उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य का मूल दर्जा बहाल कराने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दी गई.’

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प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का दर्जा बहाल करना सुधार की एक शुरुआत होगी, जो संवैधानिक अधिकारों को पुन: बहाल करेगा और राज्य के लोगों की पहचान को बचाएगा.

बुलाया जाएगा विशेष सत्र

साथ ही, मंत्रिमंडल ने 4 नवंबर को श्रीनगर में विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का निर्णय लिया है और उपराज्यपाल से सत्र को आहूत करने और उसे संबोधित करने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि मंत्रिपरिषद ने पहले सत्र के लिए उपराज्यपाल के अभिभाषण का मसौदा भी मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत कियाथा, जिसके बाद मंत्रिपरिषद ने फैसला किया

शुक्रवार को, राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव को ‘पूरी तरह आत्मसमर्पण’ और सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के रुख से विपरीत बताया, जिसमें अनुच्छेद 370 का कोई उल्लेख नहीं है.

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