कुमार इंदर, जबलपुर। मेडिकल फील्ड में डॉक्टरों ने आज तक एक से बढ़कर के कारनामे कर अपनी काबिलियत साबित की है। जबलपुर के मेट्रो अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने महज डेढ़ साल के बच्चे के दिल में हुए छेद को बंद कर एक इतिहास रचने की कोशिश की है। जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल में भर्ती एक बच्चे का यहां के डॉक्टरों ने निशुल्क इलाज कर उसे नई जिंदगी दी है। दरअसल डेढ़ साल के बच्चे के दिल में 16 एमएम का एक बड़ा छेद था जिससे बच्चे को बार बार सर्दी जुकाम सांस लेने में तकलीफ और चलने में परेशानी हो रही थी। जिसका इसके माता-पिता ने काफी इलाज कराया लेकिन कहीं से कोई आराम नहीं लगा जिसके बाद बच्चे के माता-पिता उसे लेकर मेट्रो हॉस्पिटल पहुंचे जहां डॉक्टरों की टीम ने उसका बारीकी से अध्ययन किया और उसके दिल में मिले छेद का सटीक इलाज कर उसे एक नई जिंदगी दी।
इतना आसान नहीं था ये ऑपरेशन
डॉक्टरों का कहना है ये ऑपरेशन इतना आसान नहीं था, डेढ़ साल के बच्चे का दिल का ऑपरेशन करना उनके लिए भी किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके लिए डॉक्टरों ने एक नए तरीके का ईजाद किया। इस बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए मैदान में उतरी डॉक्टरों की टीम ने एक नया तरीका इजाद किया जिसमें। सबसे पहले सर्जन की टीम ने बच्चे का दिल बाहर निकाला उसके बाद कार्डियक की टीम ने बच्चे के हॉट में एक छल्ला डालकर उसे ऑपरेट कर उस छेद को बंद किया गया। डॉक्टरों का कहना है कि, बच्चे के हॉट में उस छल्ले को इस तरह से सेट किया गया है जिससे अब वह पूरी तरह बंद हो गया है।
मध्य भारत में अब तक का पहला ऑपरेशन
डॉक्टरों की टीम का कहना है कि, इस तरह के ऑपरेशन मध्य भारत में इससे पहले कहीं नहीं हुआ। इससे पहले दिल में छेद होने पर बच्चों को चेन्नई, हैदराबाद, दिल्ली ,अहमदाबाद जैसे मेट्रो शहर में ले जाना पड़ता था लेकिन इस तरह का जबलपुर में इस तरह का पहला सफल ऑपरेशन न केवल मध्यप्रदेश बल्कि मध्य भारत का पहला ऑपरेशन है। लिहाजा इस सफलता के बाद अब यहां के क्षेत्रों को उम्मीद जगी है कि, अब उन्हें इस तरह की परेशानियों के लिए बाहर का रास्ता नहीं करना पड़ेगा।
निःशुल्क किया गया
डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह के ऑपरेशन में 5 से 6 लाख रुपये का खर्च आता है, लेकिन मेट्रो अस्पताल के डॉक्टरों ने बाल कल्याण योजना के तहत इस बच्चे का ऑपरेशन बिल्कुल निशुल्क यानी फ्री ऑफ कॉस्ट किया है। डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की परेशानी यदि किसी भी 18 साल तक के बच्चे को होती है तो उनके अस्पताल में इस योजना के तहत बच्चों का बिल्कुल निशुल्क इलाज किया जाएगा।