रायपुर. केंद्र द्वारा एफसीआई को चावल खरीदने की अनुमति नहीं मिलने के मामले में नया मोड़ आ गया है. अब केंद्र पिछले साल कस्टम मिलिंग को लेकर सख्त हो गया है. केंद्र सरकार ने एफसीआई को राज्य सरकारों के पिछले साल के स्टॉक का भौतिक परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं. भौतिक परीक्षण की रिपोर्ट केंद्र सरकार ने किसी भी हाल में सात दिन के भीतर मांगी है.
गौतलब है कि इस साल केंद्र सरकार ने एफसीआई में चावल जमा करने की अनुमति नहीं दी है. जिसे लेकर धान खऱीदी प्रभावित हो रही है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में प्रधानमंत्री और खाद्यमंत्री पीयूष गोयल से बात की थी. पीयूष गोयल ने बोनस और राजीव गांधी किसान न्याय योजना को लेकर आशंका ज़ाहिर की थी. ये चिट्ठी उसी घटनाक्रम के बाद आई है.
1 जनवरी को लिखी चिट्ठी राज्य सरकार और एफसीआई दोनों को भेजी गई है. चिट्ठी में राज्य सरकार को इस भौतिक परीक्षण में पूरा सहयोग करने को कहा गया है.
चिट्ठी में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार साल 2019-20 के लिए कस्टम किए गए चावल की तयशुदा मात्रा की आपूर्ति एफसीआई को करने में नाकाम रही है. जबकि चावल की आपूर्ति करने के लिए तयशुदा मियाद को तीन महीने के लिए बढ़ाया गया.
केंद्र सरकार ने 24 नवंबर की चिट्ठी में ये साफ कर दिया था कि बकाया चावल की आपूर्ति के लिए मियाद नहीं बढ़ाई जाएगी. चिट्ठी में लिखा गया है कि 31 दिसंबर तक एफसीआई में पर्याप्त जगह और राज्य में पर्याप्त मिलिंग क्षमता होने के बाद भी चावल की आपूर्ति नहीं की गई.
इस पत्र के जवाब में मार्कफेड ने 2 जनवरी को एफसीआई को पत्र लिखकर वर्ष 2019-20 के बकाया स्टॉक की जानकारी भेजी है. मार्कफेड ने बताया है कि राज्य के धान संग्रहण केंद्रों में करीब 3 लाख 34 हज़ार टन धान शेष है. जबकि प्रदेश भर के मिलर्स के पास करीब 20 हज़ार टन धान और करीब 30 हज़ार टन चावल पड़ा है, जिसे एफसीआई को जमा नहीं कराया गया है.
इस बारे में सरकार की प्रतिक्रिया के लिए खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव कमलप्रीत से बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया.