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रायपुर.मुख्य सचिव विवेक ढांड की अध्यक्षता में आज मंत्रालय में केन्द्रीय सूखा अध्ययन दल के साथ बैठक सम्पन्न हुई। भारत सरकार के संयुक्त सचिव के.एस.श्रीनिवासन के नेतृत्व में आये केन्द्रीय अध्ययन दल कीे तीन टीमों ने 21 नवम्बर से 23 नवम्बर तक प्रदेश के सूखा प्रभावित जिलों बेमेतरा, बलौदाबाजार, धमतरी, महासमुंद और दुर्ग तथा राजनांदगांव एवं रायपुर जिले का भ्रमण कर सूखा प्रभावित क्षेत्रों का अध्ययन किया था। दल के सदस्यों ने आज मुख्य सचिव के साथ आयोजित बैठक में उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया। के.एस.श्रीनिवासन ने बताया कि टीम के सदस्यों ने जिलों के भ्रमण के दौरान किसानों, ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर सूखे की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने बताया कि अध्ययन दल के सदस्यों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, मनरेगा, निस्तार एवं पेयजल, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन वितरण और धान खरीदी की भी जानकारी ली है।
मुख्य सचिव ने केन्द्रीय अध्ययन दल को प्रदेश में सूखे की स्थिति की जानकारी दी।उन्होनें इस बात को भी केन्द्रीय अध्ययन दल के सामने रखा कि छत्तीसगढ़ में 27 जिले एवं 150 तहसील हैं, जिनमें से 21 जिलों की 96 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि अल्प वर्षा, खण्ड वर्षा तथा समय पर पर्याप्त वर्षा नहीं होने के कारण धान की बियासी एवं निंदाई का कार्य समय पर नहीं हो पाया, जिसके कारण खरपतवार बढ़ गए, जिससे धान की फसल का ग्रोथ और उत्पादकता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। केन्द्रीय अध्ययन दल के ध्यान में यह भी लाया गया कि सूखा प्रभावित जिन जिलों और तहसीलों का भ्रमण किया गया, वहां भी धान की फसल गंभीर रूप से प्रभावित हुई। ऐसी स्थिति अन्य सूखा प्रभावित जिलों की भी है, जिस पर केन्द्रीय अध्ययन दल ने अपनी सहमति व्यक्त की।
बैठक में अपर मुख्य सचिव कृषि अजय सिंह, अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास एम.के. राउत, प्रमुख सचिव खाद्य नागरिक आपूर्ति ऋचा शर्मा, सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन एन.के. खाखा, सचिव जल संसाधन सोनमणि बोरा, सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी शहला निगार, विशेष सचिव ऊर्जा सिद्धार्थ कोमल परदेशी सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।