रायपुर। केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ क्रूरतम व्यवहार कर रही है. छत्तीसगढ़ की भाजपा की मानसिकता शुरू से यहां के किसानों के साथ क्यों नहीं रही, वे किसानों की जरूरतों को अनदेखा करते हैं. बीजेपी से डी पुरंदेश्वरी, शिवप्रसाद, दुष्यंत कुमार सभी यहां आए, लेकिन किसानों की बात किसी ने नहीं की. यह बात कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कही.
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कांग्रेस भवन में पत्रकारों से चर्चा में कहा कि छत्तीसगढ़ के किसानों का दोष क्या है, केंद्र सरकार किसानों के साथ इस तरह का व्यवहार क्यों कर रही. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार दोहरा मापदंड अपना रही. केंद्र सरकार छत्तीसगढ़ में यूरिया की मांग पूरी नहीं कर रही, लेकिन केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत यूरिया, उत्तरप्रदेश में 65 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है इसलिए केंद्र सरकार ऐसा रवैया अपना रही है.
चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान प्रदेश है, लगभग 92 प्रतिशत आबादी कृषि से जीवन यापन करती है. इस वर्ष मानसून भी एक सप्ताह पहले किसान खरीफ की तैयारी में लगे हुए हैं. 48 लाख हेक्टेयर खरीफ की खेती होती है, धान, मक्का, दलहन, तिलहन की खेती होती है.
मंत्री ने कहा कि इस साल फसल की उत्पादकता पर केंद्र ने कहा कि किसानों की आय दुगुनी करेंगे, हमारे यहां खरीफ का रकबा बढ़ता जा रहा है, यूरिया, पोटाश, फास्फेट, इस प्रकार से 12 लाख मीट्रिक टन हमने उर्वरक की मांग केंद्र से की. केंद्र ने अनुमोदन भी किया, स्वीकार भी. लेकिन आबंटन हमें प्राप्त नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि केंद्र ने स्वयं स्वीकृति दी उसके बाद भी किसानों के लिए हमारी मांग को पूरा नहीं किया. भाजपा के सांसदों से हमने पत्र लिखकर मांग की है कि वे केंद्र से मांग करे, दुर्भाग्य है कि हमें उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला, उन्होंने केंद्र से कुछ मांग की है या नहीं ये भी मुझे जानकारी नहीं.
रविंद्र चौबे ने कहा कि इन्हें केवल कुर्सी का मोह है. सत्ता प्राप्ति के लिए क्या कर सकते हैं, उसी में लगातार इन्होंने बहस किया, लेकिन किसानों के लिए उनकी चर्चाओं में एक शब्द भी नहीं सुना. पीएम मोदी को कोविड काल में उच्चत्तम न्यायालय ने कहा कि आप शुतुरमुर्ग बनकर नहीं रह सकते. किसानों के मामले में यही टिप्पणी उनके लिए फिट बैठती है, हमने किसानों की कोई बात उनके मन से नहीं सुनी.