रायपुर। छत्तीसगढ़ दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम आज एक साथ जारी किए गए. स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह टेकाम ने सुबह 11 बजे नतीजे घोषित किए. बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी बोर्ड परीक्षा में बालिकाओं ने ही बाजी मारी है. दसवीं और बारवहीं दोनों परीक्षाओं में बालाकिएं, बालकों से काफी आगे रही हैं.
दसवीं बोर्ड परीक्षा परिणाम-
दसवीं में इस वर्ष कुल 3,92,153 परीक्षार्थी ने पंजीयन कराया था.
इनमें से 3,84,761 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए.
माशिमं ने इनमें से 3,84,599 परीक्षार्थियों के परिणाम जारी किए.
वहीं 162 परीक्षार्थियों के परीणाम रोके गए, 39 नकल के प्रकरण थे.
इस तरह से दसवीं इस वर्ष 73.62 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए.
इनमें प्रथम श्रेणी में 32.86, द्वितीय श्रेणी में 37.18 और तृतीय श्रेणी में 3.59 प्रतिशत परीक्षार्थी सफल हुए.
इनमें बालिकाओं का प्रतिशत 76.28 रहा, जबकि बालकों का प्रतिशत 70.53 रहा.
बीते वर्ष 2019 में कुल 3,84, 664 परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल हुए, जिनमें 68.20 प्रतिशत सफल हुए थे.
मतलब बीते वर्ष की तुलना में इस बार दसवीं बोर्ड के रिजल्ट में काफी सुधार हुआ. इस वर्ष रिजल्ट में 5.42 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
दसवीं में टॉपर- प्रज्ञा कश्यप, 100 प्रतिशत परिणाम, 600 पूर्णांक में 600 नंबर मिले. मुंगेली जिले की रहने वाली है.
बारवहीं बोर्ड परीक्षा परिणाम-
बारवहीं में इस वर्ष कुल 2,77, 565 परीक्षार्थियों ने पंजीयन कराया था.
इनमें से 2,75,736 परीक्षार्थी शामिल हुए थे.
माशिमं ने इनमें से 2,75,495 परीक्षार्थियों के परीणाम जारी किए.
वहीं 217 परीक्षार्थियों के परीणाम रोके गए हैं, 70 नकल के प्रकरण है.
इस तरह बारहवीं 78.59 प्रतिशत विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए.
इनमें प्रथम श्रेणी में 26.27, द्वितीय श्रेणी में 48.87 और तृतीय श्रेणी में 3.45 प्रतिशत परीक्षार्थी सफल हुए.
इनमें बालिकाओं का 82.02 प्रतिशत रहा, जबकि बालकों का 74.70 प्रतिशत रहा.
बीते वर्ष 2019 में कुल 2, 60, 521 परीक्षार्थी शामिल हुए थे. जिनमें 78.43 प्रतिशत सपल हुए थे.
मतलब बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष बारहवीं बोर्ड के रिजल्ट में आंशिक सुधार हुआ. इस वर्ष मात्र 0.16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
बारवीं में टॉपर- टिकेश वैष्णव रहा. टिकेश का प्रतिशत 97.80 रहा है. टिकेश भी मुंगेली जिला का ही रहने वाला है.
कहा जा सकता है कि छोटे जिले के छात्र-छत्राएं अब बड़े शहर के बड़े स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को चुनौती दे रहे हैं. ग्रामीण-कस्बों के छात्रों ने परचम लहराकर यह साबित कर दिया है कि वे अभावों के बीच जरूर शिक्षा हासिल कर रहे हैं, लेकिन वे कान्वेंट में पढ़ने वाले बच्चों से भी कम नहीं है.