रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का शुभारंभ सोमवार को राज्यपाल अनुसुईया उइके के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ. राज्यपाल ने अपने उद्बोधन में कोरोना काल की चुनौतियों से जूझते हुए राज्य सरकार द्वारा हासिल उपलब्धियों का जिक्र किया. अभिभाषण का समापन जनता के तमाम नुमाइदों से राज्य सरकार की विकासपरक जनहितकारी नीतियों, योजनाओं, कार्यक्रमों, अभियानों में सक्रिय भागीदारी निभाने के साथय़ अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों की जनता को शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाने में मददगार बनने के आग्रह से हुआ.

राज्यपाल ने नववर्ष 2021 के छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले सत्र में सबका हार्दिक अभिनंदन करते हुए कहा कि बीता साल अनेक चुनौतियों से भरा था, जैसे रोज कमाने-खाने वाले परिवारों का भोजन और आजीविका, कुपोषण से लड़ रहे परिवारों को निरंतर पोषण आहार प्रदाय, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी और उनका पुनर्वास, कोरोना संक्रमण से बचाव और संक्रमित लोगों का उपचार, जनता का मनोबल बनाए रखने के इंतजाम, आर्थिक गतिविधियों की स्वाभाविक गति बनाए रखने में सरकार खरी उतरी है, और प्रदेश कोरोना काल में भी अनेक क्षेत्रों में नई उपलब्धियां हासिल कर सका.

मेरी सरकार ने प्रदेश को इस कठिन दौर से निकालने के लिए सूझबूझ के साथ काम किया, जिससे 67 लाख से अधिक राशन कार्डधारी परिवारों को उनकी पात्रता अनुसार खाद्यान्न, शक्कर, नमक, केरोसीन, बस्तर संभाग में गुड़, कोण्डागांव जिले में फोर्टिफाइड राइस वितरण सुरक्षा उपायों के साथ संभव हो पाया. 57 लाख अंत्योदय, प्राथमिकता, अन्नपूर्णा, एकल निराश्रित तथा निःशक्तजन कार्डधारियों को 8 माह तक पात्रता अनुसार चावल तथा चना भी निःशुल्क दिया गया. प्रवासी श्रमिकों तथा अन्य लोगों की सुरक्षित घर वापसी हुई. गांव-गांव में सबकी खाद्य सुरक्षा के लिए 11 हजार से अधिक पंचायतों में 2-2 क्विंटल चावल उपलब्ध कराया गया. ऐसे अनेक प्रयासों के सकारात्मक नतीजे मिले.

किसानों की चर्चा करते हुए कहा कि मेरी सरकार ने एक बार फिर किसानों से किया गया वादा निभाया है. चुनौतियों के बीच सुधार और संकल्प के साथ समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की गई. इस वर्ष सर्वाधिक 21 लाख 52 हजार 980 किसान पंजीकृत हुए थे, जिनमें से 20 लाख 53 हजार 483 किसानों ने अपना धान बेचा. इस प्रकार नई व्यवस्था और नए संकल्प से छत्तीसगढ़ 95.40 प्रतिशत किसानों का धान खरीदने वाला देश का पहला राज्य बन गया है.

धान खरीदी के हर पहलू पर एक नया कीर्तिमान बना है जैसे कुल पंजीकृत रकबा, कुल धान खरीदी का रकबा, कुल उपार्जित धान की मात्रा 92 लाख मीट्रिक टन को पार करना किसी चमत्कार से कम नहीं है. इन उपलब्धियों से न सिर्फ किसानों के जीवन में बल्कि पूरे प्रदेश में कृषि उत्पादन और खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है.

सरकार ने किसानों के हित में जो नए-नए कदम उठाए हैं, उसके कारण इस वर्ष ब्याज मुक्त कृषि ऋण के रूप में 4 हजार 755 करोड़ रुपए की राशि वितरण का नया कीर्तिमान बना है. लगभग 16 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए जा चुके हैं. प्राथमिक कृषि साख सहकारी सोसायटी का पुनर्गठन कर 725 नई समितियां पंजीकृत की गई हैं, जिससे अब कुल समितियों की संख्या 1 हजार 333 से बढ़कर 2 हजार 58 हो गई है.

सरकार ने पंचायत और ग्रामीण विकास की योजनाओं को तात्कालिक जरूरतों से जोड़ते हुए अनेक नवाचार किए, जिसके कारण भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ को 11 विशिष्ट पुरस्कारों से नवाजा है. वर्ष 2019-20 में महात्मा गांधी नरेगा के अंतर्गत स्वीकृत मानव दिवस के लेबर बजट का लक्ष्य शत्-प्रतिशत पूरा किया गया तथा वर्ष 2020-21 में भी 81 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया गया है, जो पुनः नए कीर्तिमान की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है. महात्मा गांधी नरेगा में बीते 10 माह में श्रमिकों को अब तक 2 हजार 590 करोड़ रुपए का मजदूरी भुगतान किया गया. इस साल अब तक 2 लाख 17 हजार 291 परिवारों को 100 दिनों का रोजगार उपलब्ध कराया गया है.

छत्तीसगढ़ में पुलिस बल को बहुआयामी चुनौतियों से जूझना पड़ता है, अतः मेरी सरकार ने एक ओर जहां पुलिसकर्मियों को आम जनता के प्रति संवेदनशील बनाने पर ध्यान दिया, वहीं दूसरी ओर सुरक्षा बलों की आवश्यकताओं को देखते हुए अनेक कल्याणकारी निर्णय लिए. रिस्पांस भत्ता, नाश्ता तथा भोजन की दरों में वृद्धि, स्पंदन अभियान, संवेदना कार्यक्रम, अनुकम्पा नियुक्ति, शहीद जवानों के आश्रितों के लिए एक्सग्रेसिया राशि 3 लाख से बढ़ाकर 20 लाख रुपए, शहीदों के आश्रित परिवारों को अनुग्रह अनुदान आदि योजनाओं का व्यापक असर हुआ है. प्रदेश में नक्सल गतिविधियों सहित अन्य अपराधों में कमी आई है.

अंत में कहा कि सरकार अपने देश की महान लोकतांत्रिक परंपराओं तथा गौरवशाली संविधान में अटूट आस्था रखती है. इनके सम्मान के लिए हर संभव कदम उठाने को अपना परम कर्त्तव्य मानती है. राज्य के संसाधनों का उपयोग सही दिशा में करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की एक मिसाल डीएमएफ के उपयोग के लिए नई गाइडलाइन जारी करना है, जिससे मुख्य और गौण खनिज की रायल्टी से प्राप्त अंशदान का उपयोग कुपोषण मुक्ति, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, रोजगार तथा हितग्राही मूलक कार्यों में सुनिश्चित हुआ है.