रायपुर। छत्तीसगढ़ बीजेपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. BJP के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर, विधायक शिवरतन शर्मा, अशोक बजाज और शिवकांत द्विवेदी ने सरकार पर हमला बोला. अजय चंद्राकर ने कहा कि भूपेश सरकार सहकारिता आंदोलन का फ़ालूदा निकाल रही है. सहकारिता आंदोलन पूरी तरह से ख़त्म किया जा रहा है.

चंद्राकर ने कहा कि वैधनाथन कमेटी की अनुशंसाओं को दरकिनार किया जा रहा है. सरकार ने नियम में संशोधन कर दिया. सहकारिता आंदोलन ख़त्म कर सरकार सिर्फ़ रेवड़ियां बांटने में लगी है. ज़िला पंजीयक प्रशासक नियुक्त कर रहे हैं. मुख्य सचिव को इस मामले में संज्ञान लिए जाने की ज़रूरत है. राज्यपाल से भी अनुरोध है कि ऐसी सरकार को बर्खास्त करें. पंचायतीराज को भी सरकार समाप्त कर रही है.

चंद्राकर ने कहा कि क्वांटिफ़ाइबल डाटा आयोग का कार्यकाल लगातार बढ़ाया जा रहा है. क्या आदिवासियों को ठगने के लिए शासन किया जा रहा है. दो अरब रुपए मनरेगा का भुगतान बाक़ी है. 11 हज़ार से ज़्यादा ग्राम पंचायतों में ठेकेदार सरपंचों के दरवाज़ों पर बैठे हैं, लेकिन पिछले डेढ़ सालों से भुगतान नहीं किया गया है.

वहीं विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सीएम को नए ढंग से परिभाषित किया था. कहा था कि ये कलेक्शन एजेंट हैं. राज्य सरकार अब तक कोयला, शराब, रेत जैसी जगहों से कलेक्शन किया का रहा था, लेकिन ये दुर्भाग्य है कि अब किसानों को भी कलेक्शन का जरिया बनाया जा रहा है.

शिवरतन शर्मा ने कहा कि धान उपार्जन केंद्रों में ग़लत ढंग से मनोनयन किया जा रहा है. सरकार जिसे चाहेगी वह सहकारी समितियों का अध्यक्ष होगा और अपने हिसाब से संचालित करेगा. प्राथमिक सहकारी समिति के अध्यक्ष का ऑडियो सामने आया है. ये सरकार भ्रष्टाचार कर रही है.

शिवरतन शर्मा ने कहा कि राइस मिलों को कस्टम मिलिंग का अब तक का भुगतान नहीं किया गया. पिछले साल धान बेचने किसानों ने जो बारदाना दिया, उसका भुगतान भी किसानों को अब तक नहीं हुआ है. शासन का नियम है कि 72 घंटों के भीतर धान का उठाव हो जाना चाहिए, लेकिन इस सरकार में धान का उठाव एक-एक महीने बाद भी नहीं हो पा रहा. इसका ख़ामियाज़ा भी समितियों को भुगतना पड़ रहा है.

शर्मा ने कहा कि 120 रुपए की दर पर कस्टम मिलिंग का भुगतान राइस मिलरों को करना है, लेकिन पिछले साल से अब तक इसका भुगतान नहीं हुआ है. धान ख़रीदी शुरू होनी है, लेकिन अब तक ख़रीदी केंद्रों में तैयारी नहीं है.

अशोक बजाज ने कहा कि सहकारिता समिति का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है, लेकिन अब तक चुनाव की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई. इस सरकार ने चुनाव रोककर अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को समितियों में मनोनयन कर दिया. सहकारिता क़ानून में यह मौलिक अधिकार है कि कौन किस समिति का सदस्य बनेगा. यह तय करने का अधिकार व्यक्तिगत है, लेकिन यह सरकार तय कर रही है. ये मनोनयन पूरी तरह से राजनीतिक है. सरकार चुनाव से भाग रही है.

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