सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। मैंने कभी टॉप टेन में आने की उम्मीद नहीं रखी और न ही कौन से डिवीजन से पास होना है, इसकी अपेक्षा की. मेरे लिए केवल सम्मानजनक अंक से पास होना जरूरी था. यह बात बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 97 प्रतिशत के साथ टॉप टेन में दूसरे स्थान पर आने वाली रायपुर के बढ़ाई पारा निवासी श्रेया अग्रवाल ने कही.

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने श्रेया से बातचीत में श्रेया ने कहा कि उसने पढ़ाई के लिए कोई उचित समय निश्चित नहीं किया था, और न ही पढ़ाई के लिए खुद को घंटों में बांध कर रखा था. जब भी मन करता था पढ़ने बैठ जाती थी. अच्छे से ध्यान लगाकर पढ़ती थी, साथ ही साथ मैं आगे की परीक्षा की तैयारी में जुटी हुई थी.

श्रेया ने बताया कि उन्होंने 10वीं और 11वीं में कोचिंग की थी. उसने बताया कि पढ़ाई में घर वालों का अहम योगदान है, उन्होंने न मुझे कभी पढ़ाई के लिए फोर्स किया और न ही मुझे बताया गया है कि मुझे क्या करना है, मुझे क्या बनना है, इसलिए मेरी सफलता का श्रेय मेरे माता-पिता, मेरे भाई, मेरे गुरुजन को है.

बोर्ड परीक्षा में टॉपटेन में आने से कुछ अंकों से वंचित रह गए छात्रों से श्रेया ने कहा कि यह अंतिम अवसर नहीं है. अगली बार फिर अच्छे से प्रयास करें. जो समझ में न आए उसको अपनी शिक्षक और पालक से साझा करें, जिसका उसका समाधान निकल सके.
वहीं श्रेया अग्रवाल के पिता सुधीर अग्रवाल और माता रुबी अग्रवाल ने कहा कि हमें अपनी बेटी पर पूरा भरोसा था कि वो जो भी करेगी अच्छे से करेगी. इसके लिए न हम उसे किसी बात के लिए दबाव बनाते थे, और न ही घरेलूकार्य करने के लिए कहते थे. जब भी श्रेया का मन होता था, वह घर के कामकाज में अपने मन से हाथ बंटाती थी.

अग्रवाल दंपती ने उन पालकों के लिए साथ ही संदेश भी दिया जो अपने बच्चों को दबाव बनाकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर करते हैं. उन्होंने कहा कि मजबूरी से पढ़ाई फायदेमंद नहीं होती, इसलिए बच्चों को उनका निर्णय स्वयं लेने दें और उनको उचित मार्गदर्शन देते रहें. जो हमने किया उसका रिज़ल्ट आपके सामने हैं.