रायपुर. राजधानी से इस वक्त की बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है. खबर यह है कि अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर 60 दिन से हड़ताल कर रहे 15 हजार मनरेगा कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा देने की पेशकश की है. 

बता दें कि, मनरेगा कर्मी 60 दिनों से कांग्रेस घोषणा पत्र को आत्मसात करते हुए नियमितीकरण करने एवं जब तक नियमितिकरण नहीं हुआ है तब तक समस्त मनरेगाकर्मियो को पंचायत कर्मी का दर्जा एवं रोजगार सहायकों के वेतनमान निर्धारण को लेकर हड़ताल पर हैं. सरकार ने इनकी मांगों को लेकर अभी तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई. जिससे नाराज मनरेगाकर्मी अब सामूहिक इस्तीफा देने को तैयार हैं.

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांता अध्यक्ष चंद्रशेखर अग्निवंशी और महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम कुर्रे ने बताया कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में हमें नियमित करने का वादा किया था, किंतु साढ़े 3 वर्ष व्यतीत होने के उपरांत भी इस दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की गई. कोरोना काल में हमने ग्रामीण मजदूरों को काम देने एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनाने अपने जान की परवाह किए बगैर कार्य किए हैं, जिसके परिणाम स्वरूप राज्य को प्राप्त लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 5 माह में 120 प्रतिशत की उपलब्धि प्राप्त की.

आगे उन्होंने कहा, आम जनता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए हमारे 200 से अधिक मनरेगा कर्मचारी कोरोना काल में शहीद हुए जिनकी शहादत को भी सम्मान नहीं दिया गया. आज इन परिवारों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है. लगातार अपनी मांगों को शासन-प्रशासन के समक्ष हम शांतिपूर्ण ढंग से रखते आए हैं. प्रशासनिक स्तर पर कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई. जिसके कारण मनरेगा कर्मचारियों के मन में रोष व्याप्त होता गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि 4 अप्रैल से राज्य भर के मनरेगा कर्मचारी हड़ताल पर आ गए. हड़ताल के दौरान सरकार ने हमारी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया और प्रशासनिक अधिकारी सेवा समप्ति की धमकी देकर और डराकर हड़ताल को खत्म करने का लगातार प्रयास किया. किंतु हड़ताल 60 दिनों से निरंतर जारी है.

इतना ही नहीं हड़ताल वापसी की स्तिथि में मनरेगा कर्मचारियों से कभी भी हड़ताल में शामिल नहीं होने का बांड भरवाने की तैयारी है. जो संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन है. प्रशासन के इस अलोकतांत्रिक तरीकों का हम विरोध करते हैं, हम मीडिया के माध्यम से महासंघ यह बताना चाहता है कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में विगत 10-15 सालों से कार्य कर छत्तीसगढ़ राज्य को कई बार देशभर में उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान दिलाए हैं, अगर प्रशासन किसी भी अधिकारी कर्मचारी के पद को समाप्त करने की अलोकतांत्रिक तरीका अपनाती है तो हम बता दें कि इसके विरोध में छत्तीसगढ़ मनरेगा में कार्य करने वाले 15000 कर्मचारियों ने 50 रुपए के स्टांप पेपर में अपना सामूहिक इस्तीफा तैयार कर रखे हैं. प्रशासन के रुख को देखते हुए जिसे आयुक्त महात्मा गांधी नरेगा को देने के लिए बाध्य होंगे, जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी.

छत्तीसगढ़ की आम जनता को हम बताना चाहते हैं कि, देशभर में अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारियों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय है. कर्मचारी अल्प वेतन एवं कभी भी बर्खास्तगी के भय में कार्य कर रहे हैं. विगत वर्षों में हमारे 3000 साथियों की सेवा समाप्ति की गई है अथवा भय के कारण नौकरी से त्याग पत्र दे चुके हैं. किंतु अब छत्तीसगढ़ के मनरेगा कर्मचारी इस प्रशासनिक शोषण को अब नहीं सहेंगे. हम समस्त कर्मचारी संघ, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सामाजिक संगठन एवं बुद्धिजीवी वर्ग, युवा साथी के साथ छत्तीसगढ़ की आम जनता से अपील करते हैं कि यह केवल मनरेगा कर्मचारियों का संघर्ष ही नहीं रह गया, बल्कि समय आ गया है कि छत्तीसगढ़ में संविदा एवं अन्य प्रकार से युवाओं का जोश शोषण करने की नीतियां बनाई गई. जिसका पुरजोर विरोध कर इस कुप्रथा को जड़ से समाप्त करें.

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