शिवम मिश्रा/रायपुर. दक्षिण पाटन के पूर्व जिला पंचायत सदस्य यहां प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की रेड पड़ी है. सूत्रों के मुताबिक 13 सदस्यीय अधिकारियों का अमला सोमवार सुबह दक्षिण पाटन के ग्राम गातापार पहुंचा.
यहां पूर्व जिला पंचायत सदस्य जयंती साहू एवं विमल साहू के घर छापे मारे गए और दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं. इनके दल्लीराजहरा समेत अन्य जगहों पर रिश्तेदारों के यहां भी छापे की खबर है. इसके अलावा ईडी की टीम ने भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कंपनियां बनाकर लोन लेने के मामले में आरोपी सुभाष शर्मा के घर भी दबिश दी है. लल्लूराम के सूत्र बताते है कि गिरफ्तार सुभाष शर्मा को ईडी ने 10 दिनों की रिमांड पर लिया है, जिससे पूछताछ में मिले इनपुट के आधार जांच के लिए टीम घर समेत कई स्थानों पर जांच कर रही है. वहीं सूत्रों के मुताबिक एक टीम सुभाष शर्मा के बालोद स्थिल घर में भी दबिश देने पहुंची है.
ये है सुभाष शर्मा का पूरा मामला
लल्लूराम डॉट कॉम के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक सुभाष शर्मा के खिलाफ रायपुर के गोल बाजार और सिविल लाइन थाने में अपराध दर्ज थे. 2015 में विक्रम राणा नाम के व्यक्ति ने गोल बाजार थाने में शर्मा के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की थी. उसके मुताबिक सुभाष शर्मा ने राणा की जमीन बंधक रखकर पंजाब नेशनल बैंक से करीब 16.50 करोड़ का कर्ज लिया था. किस्तें अदा नहीं होने पर बैंक ने राणा को नोटिस भेजा. उसके बाद इस फ्रॉड की जानकारी हुई.
इस मामले में गोल बाजार पुलिस ने अप्रैल 2018 में उसे गिरफ्तार किया, हालांकि बाद में सुभाष जमानत पर छूटा और शहर छोड़ दिया. अधिकारियों ने बताया, सुभाष शर्मा ने होटल सफायर इन, गुडलक पेट्रोलियम कंपनी और मेसर्स विदित ट्रेडिंग कंपनी के लिए 38.50 करोड़ का कर्ज लिया था. यह रकम एक्सिस बैंक और पंजाब नेशनल बैंक रायपुर से ली गई थी. इनकी किस्तें अदा नहीं हुई. उसके बाद बैंकों ने इस खाते को फ्रॉड घोषित कर दिया.
शख्स ने अनेकों कागजी कंपनियां खोली थीं
प्रवर्तन निदेशालय के सूत्र बताते है कि सुभाष शर्मा नाम के इस शख्स ने अनेकों कागजी कंपनियां खोली थीं. इन कंपनियों में से अनेक में कोई काम धाम नहीं होता था. आरोप है कि इन कंपनियों को बैंकों से लोन लेने के लिए खोला गया था. निदेशालय के मुताबिक, सुभाष शर्मा ने अनेक बैंकों से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ रुपये का लोन लिया. इस बाबत छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो में लगभग 54 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले दर्ज भी हुए.
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज
इन्हीं मामलों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की. इस जांच के दौरान पाया गया कि सुभाष शर्मा ने बैंकों से जिस काम के लिए लोन लिया था उन कामों में पैसा ना लगाकर बैंकों से लिए गए लोन के पैसे का इस्तेमाल अचल संपत्ति को खरीदने में किया. यह भी आरोप है कि बैंकों से लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया.