रायपुर। राजधानी में बैंक से करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है. कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank) के मार्केटिंग एजेंट ने लोन धारकों से साठगांठ कर फर्जी दस्तावेज जारी कर 4 करोड़ से अधिक की ठगी की है. शातिर ठग ने 3 माह के भीतर जीई रोड ब्रांच को करोड़ों का चूना लगाया और फरार हो गया. मामले में बैंक प्रबंधन ने मुख्य आरोपी समेत 14 लोगों के खिलाफ धारा 420, 409, 34 के तहत अपराध दर्ज कर लिया गया है. यह पूरा मामला सरस्वती नगर थाना क्षेत्र का है.
जानकरी के अनुसार, बैंक अधिकारियों ने लोन लेने वाले व्यक्तियों से सांठगांठ कर बैंक को चार करोड़ 60 लाख रुपये से अधिक का चूना लगाया है. मामले में कोर्ट के आदेश के बाद सरस्वती नगर थाना पुलिस ने 14 लोगों पर अपराध दर्ज किया है. पुलिस ने अनिल सिंह भदौरिया, दिलीप सिंह, सोनू देवांगन, सुधीर गुप्ता, अबान अहमद खान, भागवत प्रसाद यादव, परवेज खान, सुमित दुबे, अमित कुमार सिन्हा, नीरज राजपूत, रवि कांत साहू, रमेश कुमार साहू, आरिफ रहमान सिद्दीकी, इरफान काजी, अयान काजी, सहाबुद्दीन अहमद काजी, अब्दुल हसीद के खिलाफ धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं के तहत अपराध कायम किया गया है.
यह है पूरा मामला
थाने में कोटक महिंद्रा के मैनेजर राजेश राठौर ने रिपोर्ट दर्ज करवाई है कि बैंक के रिलेशनशिप मैंनेजर और अधिकृत सेलिंग एजेन्ट ने 14 लोन धारियों के साथ आपस में मिलकर फर्जी और कूटरचित जमानतदार प्रपत्र एवं अन्य दस्तावेज तैयार कर दो करोड़ 79 लाख 9744 रुपये का फर्जी लोन सैंक्शन करवा कर धोखाधड़ी की है. राजेश राठौर ने बताया कि महिंद्रा बैंक कार्यालय सिटी प्लाजा, जीई रोड राजकुमार कालेज नियर रामकृष्ण केयर हास्पिटल रायपुर में है. बैंक के जरिये कुल 14 लोनधारियों की मांग पर 15 सेकेंड हैंड ट्रक वाहन को उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों के आरसीइन्शरेंस आदि का प्रथम दृष्टतया सत्यता के आधार पर आवेदक बैंक में बंधककृत कर कुल राशि 2,79,09, 744 रुपये बंधक ऋण माह अगस्त 2022 से माह नवंबर 2022 के मध्य नियम और शर्तो के अधीन किया गया था.
अलग-अलग जिले के 14 लोन धाराकों को रकम दी गई. वाहन बंधककृत कर बंधक ऋण प्रदाय किए जाने उपरांत उपरोक्त सभी 14 लोन धाराकों ने बैंक को दय बंधक ऋण की राशि लगातार अदा नहीं किए जाने पर हमारी बैंक ने सभी 14 लोनी व्यक्तियों को पांच जनवरी 2023 को नोटिस भेजा. जिसका कोई जवाब नहीं देने पर और बैंक को संदेह होने पर उपरोक्त सभी लोन धाराकों को बंधककृत वाहन भौतिक सत्यापन निरीक्षण कराए जाने की नोटिस प्रेषित किया था. किन्तु उपरोक्त में से किसी भी लोन धाराकों ने उपरोक्त बंधककृत वाहन का भौतिक सत्यापन निरीक्षण आवेदक बैंक के समक्ष नहीं कराया गया और न ही नोटिस का जवाब दिया. इसपर संदेह और अधिक बढ़ने पर लोनी व्यक्तियों का उनके दिए पते पर पतासाजी करने पर पता नहीं चला और वहां रहने वालों वालों ने बताया कि वे लोग दिए गए पते को छोड़कर दूसरे राज्य चले गए.
इस मामले में जब विभागीय जांच की गई तो पता चला कि बैंक के अधिकृत डायरेक्ट मार्केटिंग एजेंट अनिल सिंह भदौरिया और आपरेशन टीम के रिलेशनशिप मैनेजर दिलीप सिंह ने आपस में मिलकर षडयंत्र कर फायदे के लिए सभी 14 लोनी व्यक्तियों से सांठगांठ कर उन्हे लाभ पहुंचाये जाने की मंशा से प्रत्येक लोनी व्यक्तियों का फर्जी जमानदार का दस्तावेज और अन्य लोन प्रपत्र कूटरचित कर और इस के लिए जाली दस्तावेजों तैयार कर लोन दिलवाया. फ़िलहाल इस मामले में पुलिस आरोपियों की पतासाजी में जुट गई है.
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