सुप्रिया पांडेय, रायपुर। राजधानी में अवैध रूप से बालगृह का संचालन करने वाले नरेश महानंद ने बच्चों की फोटो सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की थी, जिसकी जांच बाल संरक्षण आयोग द्वारा की जा रही है. जिला बाल संरक्षण अधिकारी नवनीत स्वर्णकार ने कहा कि नरेश महानंद ने सोशल मीडिया पर बच्चों की फोटो वायरल किया है. ये दंडनीय अपराध है. इसकी जांच की जा रही है. अगर ऐसा है तो किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 के तहत 1 वर्ष का कारावास और 2 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है.

अवैध बालगृह मामले में बाल संरक्षण आयोग सख्त

वहीं मामले को लेकर अधिकारी ने कहा कि यूट्यूब के माध्यम से नरेश महानंद के द्वारा सार्वजनिक प्रचार प्रसार किया जा रहा था, कि वे बच्चों को मुफ्त में बेहतर शिक्षा और आवास देंगे. नरेश महानंद ने सार्वजनिक बाल आश्रम का बोर्ड लगाया था. इस वजह से बच्चों के परिजन संचालक नरेश महानंद के झासें में आ गए है.

किशोर न्याय अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई

बाल आश्रम का संचालन किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 40 के तहत पंजीयन कराकर ही उसका संचालन किया जा सकता है. पंजीयन नहीं कराए जाने की दशा में जेजे एक्ट की धारा 427 के तहत कार्रवाई होती है. 1 वर्ष का कारावास और 1 लाख रुपए जुर्माना का प्रावधान है. अवैध रूप से बालगृह का संचालन कराया जा रहा था, जिसकी सूचना हमें पॉम्पलेट के माध्यम से मिली, उनके द्वारा डोनेशन भी मांगे जा रहे थे, जिसे देखते हुए हमने संस्था का अवलोकन कराया.

संचालक से कहा भी गया था कि आपकी संस्था के दस्तावेजों को हमारे पास उपलब्ध कराएं, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए, तो तीसरे दिन हमने रेस्क्यू की कार्रवाई की. सभी 19 बच्चे मध्य प्रदेश के थे, जिनमें 18 बालक, बालिकाएं मंडला जिले के और एक बालक बालाघाट जिले का था. मंडला जिले से 8 सदस्यीय पुलिस की टीम आई और बच्चे अब अपने राज्य पहुंच गए हैं. साथ ही संचालक की गिरफ्तारी भी हो चुकी है.

 

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