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टोमन लाल सिन्हा, मगरलोड। हमारा समाज ऊंचाइयों पर जरूर है, लेकिन आज भी वर्ण की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं. सोच आधुनिक जरूर है, लेकिन मानसिकता में भेदभाव के कीड़े मौजूद हैं. समाज में छींटाकशी बरकरार है. समाज के दबंगों की जुबानी चाबुक 3 परिवार के दिल को छलनी कर रहा है. हुक्का पानी बंद कर दिया गया है. नल से पानी तक नहीं दिया जा रहा है. तालाब से गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. अब बात महकमे की दहलीज तक जा पहुंची, जहां न्याय के लिए अर्जी लगाई गई है.
परिवारों का किया हुक्का पानी बंद
दरअसल, ब्लॉक मुख्यालय मगरलोड से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम बनियातोरा के 3 आदिवासी परिवारों के 17 लोगों के साथ ग्रामीण समिति के पदाधिकारियों ने हुक्का पानी बंद कर प्रताड़ित कर रहे हैं. आदिवासियों को पीने का पानी नहीं दिया जा रहा है. पूर्णता गांव में 17 आदिवासी लोगों के साथ बातचीत बंद कर दिया गया है. किराना दुकान की खाद्य सामग्री पर पूर्णता रोक लगा दी गई है.
न्याय की भीख मांग रहे गरीब
नाई, धोबी और यादवों के कार्यों पर भी पूर्णता 2 माह से बंद करने के कारण टीकाराम ध्रुव प्रह्लाद ध्रुव करण ध्रुव के 17 लोगों के परिवारों का जीवन गांव में चलना बहुत ही मुश्किल हो गया है. पानी के लिए उन्हें नलकूप से और तालाब के गंदा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. ग्रामीण समिति के पदाधिकारियों के प्रताड़ना से तंग आकर इन परिवारों ने मगरलोड थाना और धमतरी अजाक थाने में लिखित रिपोर्ट कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
गांव में इन लोगों के साथ बातचीत मजदूरी खाद्य सामग्री पानी किसी के द्वारा देने पर उस व्यक्ति को भी छोड़ने और हर्जाना स्वरूप दंड लेने का दबाव ग्रामीण समितियों के पदाधिकारियों द्वारा बनाया गया है. प्रहलाद टीकाराम करण ने बताया कि गांव के लाला राम रघु राम राम दयाल द्वारा दबंगई कर जातिसूचक गाली गलौज किया जा रहा है. गांव से भगाने और जान से मारने की धमकी लगातार इन परिवारों को दिया जा रहा है.
प्रहलाद टीकाराम ने आदिवासी परिवारों ने उपरोक्त व्यक्तियों के खिलाफ अनुसूचित जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर कार्रवाई करने की मांग की है. मगरलोड थाना और धमतरी अजाक थाने में गुहार लगाई है. समाज के दबंगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
मामले में सरपंच वीणा साहू ने कहा कि गांव की समस्या है, गांव में सुलझाने का प्रयास करेंगे. हम सभी को समान अपनी दुकान से दे रहे हैं. रोजगार गारंटी में भी जा रहे हैं. दोनों पक्षों से समझौता कराने का प्रयास करेंगे.
मगरलोड थाना प्रभारी प्रणाली वैद ने कहा कि आदिवासी परिवारों द्वारा शिकायत मिली है. मामले की जांच की जा रही है. इस तरह प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
बहरहाल, कहने को तो हम डिजिटल इंडिया के जमाने में जी रहे हैं, दावा करते हैं सामाजिक कुरीतियों को भी पीछे छोड़ चुके हैं, लेकिन ये बातें शहरों तक तो अच्छी लगती है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो आज भी स्थितियां वहीं के वहीं है. बात महकमे की दहलीज तक पहुंची है. करतूत की सजा तो मिल सकती है, लेकिन ढकोसली सोच की सजा क्या होगी. इस पर सरकारी नुमाइंदे रौशनी नहीं डाल पाए, लेकिन कार्रवाई का भरोसा जरूर दिया है.
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