रायपुर। छत्तीसगढ़ समेत 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चूका है. इसी के साथ ही सभी राज्यों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. निर्वाचन आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन राजनीतिक दलों की सहमति से कुछ नियम बनाए गए हैं. सत्तारूढ़ पार्टी समेत सभी राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को इसका पालन करना अनिवार्य होता है. आदर्श आचार संहिता चुनाव संपन्न होने तक लागू रहेगी.
छत्तीसगढ़ की मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबासाहेब कंगाले ने सोमवार को राजधानी रायपुर स्थित मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस बार छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होगा. जिसमें पहला चरण 7 नवंबर और दूसरे चरण की वोटिंग 17 नवंबर को होगी. जिसमें छत्तीसगढ़ में दो चरणों में मतदान होना है. जिसमें पहले चरण में 20 सीटों पर और दूसरे चरण में 70 सीटों पर वोटिंग की जाएगी. पांचों राज्यों के चुनाव नतीजे एक साथ 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.
इन कार्यो पर रहेगी रोक –
- सरकारी विमान, बंगला, गाड़ी समेत अन्य संसाधनों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार या किसी भी तरह की गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकता.
- नेता अब सरकारी घोषणा, लोकार्पण, उद्घाटन और शिलान्यास आदि कार्यक्रमों पर चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने तक रोक रहेगी, चुनावी रैली में जाति-धर्म के आधार पर वोट मांगने पर रोक रहेगी.
- किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी.
- धार्मिक स्थान यथा मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारा या पूजा के अन्य स्थानों का निर्वाचन प्रचार के मंच के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा.
- हथियार रखने के लिए नया आर्म्स लाइसेंस नहीं बनेगा. BPL के पीले कार्ड नहीं बनाए जाएंगे.
- मत प्राप्त करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी.
- निर्वाचन के आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी अधिकारियों या पदाधिकारियों के स्थानांतरण और तैनाती पर प्रतिबंध होगा. यदि किसी अधिकारी का स्थानांतरण या तैनाती आवश्यक मानी जाती है तो इसके लिए पहले निवार्चन आयोग की अनुमति लेना अनिवार्य होगा.
- मतदान के दिन मतदान केंद्र से सौ मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर रोक और मतदान से एक दिन पहले किसी भी बैठक पर रोक लग जाएगी.
- चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक सरकारी कोष की लागत पर पार्टी की उपलब्धियों के संबंध में विज्ञापन और सरकारी जनसंपर्क मीडिया के दुरुपयोग पर रोक रहेगी.
- राजनीतिक दलों की ओर से प्रदार्शित किए गए सभी होर्डिंग, विज्ञापन इत्यादि संबंधित प्राधिकारियों द्वारा तुरंत हटा दिए जाएंगे.
- मंत्री या अन्य प्राधिकारी निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक विवेकाधीन कोष से कोई अनुदान/भुगतान नहीं कर सकते हैं.
- आदर्श आचार संहिता का अगर कोई आम नागरिक उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो उसपर भी कार्रवाई की जाएगी. उसे हिरासत में भी लिया जा सकता है.
इन कार्यो पर रोक नहीं
- राज्य के मंत्री सरकारी वाहन का इस्तेमाल अपने आधिकारिक निवास से अपने कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए जाने-आने के लिए कर सकते हैं.
- आपातकालिक स्थिति या अप्रत्याशित आपदाओं और सूखे, बाढ़, महामारी, अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने या फिर वृद्धजनों और निशक्त लोगों के लिए कल्याणकारी उपाय करना हो तो सरकार निर्वाचन आयोग की अनुमति लेकर ऐसा कर सकती है.
- रेस्ट हाउस, डाक बंगला या अन्य सरकारी निवासों पर सत्ताधारी दल या इसके अभ्यर्थियों द्वारा एकाधिकार नहीं रखा जाएगा. ऐसे निवास स्थान के लिए अन्य दलों या अभ्यर्थियों को भी प्रयोग करने की अनुमति होगी.
- चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने तक अब कोई नई घोषणाएं तो नहीं की जा सकती और न ही नए विकास कार्य शुरू किए जा सकते हैं, लेकिन यदि कोई काम वास्तव में शुरू कर दिया गया है तो उसे जारी रखा जा सकता है.
जानिए कब हुई थी आचार संहिता की शुरुआत
गौरतलब है कि आदर्श आचार संहिता की शुरुआत सबसे पहले साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी, निर्वाचन आयोग ने साल 1962 के लोकसभा चुनाव में सभी राजनितिक दलों को इसके बारे अवगत कराया था. इसके बाद साल 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में आदेश आचार संहिता की व्यवस्था लागू हुई. तब से अब तक यह सिलसिला जारी है, निर्वाचन आयोग की अनुशंसा पर समय-समय पर इसके दिशा निर्देशों में बदलाव होते रहा है.
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