रायपुर. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मुख्य प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला और राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट जयवीर शेरगिल ने नोटबंदी पर एक बार फिर से नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला बोलते हुए इसे काला धन को सफेद बनाने का आज़ाद भारत का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया.
इस पर उन्होंने नोटबंदी से ठीक पहले भाजपा व आरएसएस ने सैकड़ों करोड़ रु. की संपत्ति पूरे देश में खरीदी करने की बात कहते हुए सवाल किया कि क्या भाजपा व आरएसएस को नोटबंदी के निर्णय की जानकारी पहले से थी. इसके अलावा नोटबंदी से ठीक पहले सितंबर, 2016 में बैंकों में यकायक 5,88,600 करोड़ रुपया अतिरिक्त जमा हुआ. इसके अलावा नोटबंदी वाले दिन, यानि 8 नवंबर, 2016 को भाजपा की कलकत्ता इकाई के खाता नंबर 554510034 में 500 व 100 रु. के तीन करोड़ रुपए जमा करवाए जाने पर भी सवाल किया.
गुजरात के बैंकों की नहीं हुई जांच
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि नोटबंदी के बाद मात्र 5 दिनों में यानि, 10 नवंबर से 14 नवंबर, 2016 के बीच अहमदाबाद जिला को -ऑपरेटिव बैंक में 745.58 करोड़ रु. के पुराने नोट जमा हो गए. इस बैंक के डायरेक्टर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हैं, जो इससे पहले बैंक के चेयरमैन भी रहे हैं. इसके अलावा अकेले गुजरात में भाजपा नेता और मंत्री द्वारा संचालित 11 जिला को-ऑपरेटिव बैंकों में नोटबंदी 5 दिनों में अप्रत्याशित तौर से 3881.51 करोड़ रु. के पुराने नोट जमा हो गए. बावजूद इसके क्यों जांच नहीं हुई.
कहां गया कालाधान और फर्जी नोट
कांग्रेस प्रवक्ता ने कालाधन पर सवाल करते हुए कहा कि 24 अगस्त, 2018 की आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के दिन चलन में 15.44 लाख करोड़ नोटों में से 15.31 लाख करोड़ पुराने नोट तो बैंकों में जमा हो गए. बाकी बचा पैसा भी रॉयल बैंक ऑफ नेपाल व भूटान तथा अदालतों में केस प्रॉपर्टी के तौर पर जमा है, तो फिर कालाधन कहां गया? वहीं फर्जी नोट पर भी सवाल किया कि साल 2017-18 आरबीआई रिपोर्ट के मुताबिक 15.44 लाख करोड़ के पुराने नोटों में से मात्र 58.30 करोड़ ही नकली नोट पाए गए तो फिर नकली नोट कहां गए?
न आतंकवाद खत्म हुआ न नक्सलवाद
सुरजेवाला ने नोटबंदी के बाद अकेले जम्मू-कश्मीर में 86 बड़े उग्रवादी हमले हुए, जिनमें 127 जवान शहीद हुए व 99 नागरिक मारे गए, वहीं नोटबंदी के बाद फरवरी, 2018 तक 1030 नक्सलवादी हमले हुए, जिनमें 114 जवान शहीद हुए. इस पर प्रवक्ता ने सवाल किया तो क्या मोदी सरकार ने देश को जानबूझकर गुमराह किया? साथ ही सवाल किया कि क्या नए नोट छापने व बांटने की कीमत नोटबंदी की बचत से 300 प्रतिशत अधिक है? इतने बड़े आर्थिक नुकसान के लिए कौन जिम्मेवार है?