रायपुर। भूपेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए मीसाबंदियों का पेशन बंद कर दिया है. सरकार ने मीसा कानून-2008 को खत्म करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है. सरकार ने एक तरह रमन सरकार में शुरू किए गए पेंशन देने की योजना को खत्म कर दिया है. दरअसल आपातकाल के समय सन् 1975 से लेकर 1977 तक जय प्रकाश नारायण के आंदोलन के दौरान जेल में बंद रहे बंदियों को पेंशन देने की शुरुआत छत्तीसगढ़ में तत्कालीन रमन सरकार के कार्यकाल 2008 में की गई थी. इसे लेकर कांग्रेस लगातार सवाल उठाते रही. रमन सरकार के जाने और भूपेश सरकार के आने के बाद कांग्रेस मीसा बंदियों को दिए जा रहे पेंशन को बंद करने की मांग करती रही.
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी का कहना है कि तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार द्वारा भाजपा और आरएसएस के नेताओं को खुश करने के लिए और अपना नंबर बढ़ाने के लिए वर्ष 2008 में कानून बनाकर मीसा बंदियों को राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया था, जिसे सम्मान निधि कहा जाता था. प्रदेश के उन भाजपा और आरएसएस के नेताओं का चयन करके जिनक देश की आजादी की लड़ाई से कोई वास्ता नहीं था. बावजूद इसके उन्हें मीसाबंदी घोषित किया गया और 25000 रुपए प्रति व्यक्ति से अधिक की राशि इन पर राजकीय कोष से खर्च किया जाता था. यह एक तरह से जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग था. विकास तिवारी ने राज्य सरकार की ओर लिए गए फैसले पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त करते हुए यह मांग की है कि सम्मान निधि में जो राशि खर्च की जाती थी उन्हें अब प्रदेश के बेरोजगार युवाओं आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले प्रतिभाओं पर खर्च किया जाना चाहिए, ताकि उनका भविष्य उज्जवल हो सके.