रायपुर। राज्य सरकार ने एक आंकड़ा जारी कहा कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक स्थिति मजबूत है. 3 महीने में ही सरकार ने 7 निर्माण कार्य शुरू किए हैं साथ ही हजारों पदों भर्तियां भी हो रही है. वो भी उस स्थिति में जब धान की कीमत में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी कर्ज माफी और बिजली बिल आधा करने जैसे अनेक जन-कल्यणकारी कदम उठाए गए.
सरकार की ओर जारी बयान में कहा गया है कि सड़क और सिंचाई सुविधा से संबंधित कार्य बड़े पैमाने पर शामिल हैं. इतना ही नहीं दो दशक बाद शिक्षकों की नियमित भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की गई है. सरकार के मुताबिक राज्य के वित्तीय स्थिती मजबूत है. शासन ने न तो भर्ती पर रोक लगाई है और न ही निर्माण कार्यों का भुगतान रोका है. सामाजिक सुरक्षा आर्थिक सहायता एवं अनुदान वेतन भत्ते आदि का भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है. अधोसंरचना विकास की विलंबित और बढ़ी परियजोनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा लगातार समीक्षा कार्य किए जा रहे हैं. इस प्रकार स्पष्ट है कि राज्य सरकार कुशल वित्तीय प्रवंधन के जरिए बहुत बड़े पैमान पर राज्य को आगे बढ़ाने की दिशा में पूरी गंभीरता से कार्य कर रही है. इन कार्यों के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध है अप्रेल 2018 की तुलना में 2019 में लगभग डेढ़ गुना भुगतान शासकीय खजाने से किया गया है.
जहां तक कर्ज लेने का सवाल है तो सरकारी कामकाज के जानकारों को विदित है कि एक सामान्य प्रक्रिया है जो संसाधन जुटाने व इसका प्रभावी उपयोग करने के लिए शासन के भीतर उपायों का हिस्सा है. संविधान के अनुच्छेद 293 (3) में स्वयं भारत सरकार द्वारा राज्यों को विकास कार्यों के लिए ऋण लेने की वार्षिक सीमा हर साल जारी की जाती है.साल 2018-2109 के लिए भारत सरकार द्वारा राज्य को 12979 करोड़ रूपए का ऋण लेने की अनुमति दी गई थी. इसके विरूद्ध 129000 करोड़ रूपए ऋण वित्त वर्ष के दौरान लिया गया था.साल 2019-2020 के दौरान बजट में 10926 करोड़ रूपए का ऋण लेने का प्रावधान किया गया है. अप्रेल 2019 के पिछले साल अप्रेल की तुलना में जीएसटी एवं वैट से प्राप्त राजस्व के 21 प्रतिशत वृद्धी हुई है. अनुमान है कि मई 2019 में भी ऋण लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.भर्ति प्रक्रिया को लेकर जारी किए गए परिपत्र को कतिपय तत्वों द्वारा भ्रामक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है.
वास्तव में वित्तीय और प्रशासनिक अनुशासन के लिए यह एक सामान्य प्रक्रिया है ताकि अनावश्यक और अनियमित भर्तियों की रोकधाम की जा सके.उल्लेखनीय है कि विगत सालों में आउट सोर्सिंग के माध्यों से की जाने वाली भर्तियों के विर्ध् बड़े पैमाने पर जन आक्रोश नजर आया करता था. राज्य में सभी निर्माण कार्यों का भुगतान निरंतर एवं नियमानुसार किया जा रहा है. पूर्व में शासन ने निर्णय लिया था कि दिसंबर 2018 की स्थिती में जो निर्णाण कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं उनकी लागत और उपयोगिता के आधार पर समीक्षा के बाद अनुमति दी जाएगी.
रिजर्व बैंक इंण्डिया की रिपोर्ट 2018 के अनुसार राज्य का कुल ऋण दायित्व जीडीपी का 17.4 प्रतिशत है जो अन्य राज्यों के औसत 24.3 प्रतिशत से कम है इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज भुगतान का दियित्व कुल राजस्व प्राप्तियों का 4.6 प्रतिशत है.जो कि अन्य राज्यों के औसत 11.6 प्रतिशत से काफी कम है.