सत्यपाल राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में व्यवस्थाएं बदहाल हैं. शिक्षा के नए सत्र 16 जून से शुरू हो गाया है, लेकिन शिक्षा के अधिकार के तहत गरीब बच्चों को एडमिशन नहीं मिला है. करीब 1 लाख बच्चे पढ़ाई का इंतजार कर रहे हैं. पढ़ाई में पिछड़ रहे गरीब छात्रों का आखिर कौन जिम्मेदार होगा. आखिर प्रदेश के गरीब बच्चों का क्या गुनाह, जिससे गरीब छात्र पढ़ाई के लिए तरस रहे हैं.

छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग में लचर व्यवस्था

इस मामले में छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार क़ानून के तहत प्रदेश के निजी विद्यालयों में राज्य शासन लॉटरी के माध्यम से क़रीब 1 लाख बच्चों को प्रवेश दिया जाता है, लेकिन जुलाई का आधा माह बीत जाने के बाद भी अभी तक प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई है. इसलिए जल्द से जल्द शिक्षा के अधिकार के तहत ग़रीब बच्चों को प्रवेश दिलाया जाए, ताकि उनको भी शिक्षा मिल सके.

वहीं प्रदेश अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा है कि सीबीएससी स्कूल में अप्रैल माह से ही पढ़ाई शुरू करा चुके हैं. स्टेट बोर्ड से संबंधित स्कूल भी 1 महीने से पढ़ाई जारी है. ऐसे में शिक्षा के अधिकार के तहत पढ़ रहे बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाएंगे. इसको कवर करना मुश्किल हो जाए. इसके पहले प्रक्रिया पूर्ण कर लेना चाहिए, ताकि ग़रीब बच्चे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें.

बता दें कि हर साल शिक्षा के अधिकार क़ानून के तहत प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों में ग़रीब बच्चों को 25 प्रतिशत प्रदेश सरकार प्रवेश दिलाती है, जिनकी संख्या अब लगभग एक लाख के क़रीब है, लेकिन स्कूल खुल जाने के बाद भी मामला प्रक्रियाधीन है. विद्यार्थी अपनी पढ़ाई के इंतज़ार में है.

 

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