सुप्रिया पांडेय, रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के ढाई साल पूरे होते ही मंत्रियों के जिले के प्रभार भी बदल गए हैं. प्रदेश में तीसरी बार मंत्रियों के जिले का प्रभार बदला गया है. इस फेरबदल को लेकर मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा जिलों के विकासकार्यों में किसका कितना योगदान हो सकता है. संभावित रूप से निरंतर बैठक, संवाद और जनसंपर्क होना चाहिए. जिलों के संभावित विकास को देखते हुए मुख्यमंत्री ने यह जिम्मेदारी दी है.
मंत्रियों के प्रभार बदलने पर बोले रविंद्र चौबे-
मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री का विवेकाधिकार है, जिस मंत्री को जिन जिलों की जवाबदारी दी गई है, वह अपने जिले पर बेहतर परफॉर्म करेंगे. प्रभार बदलने और मिशन 2023 को लेकर मंत्री चौबे ने कहा कि राजनीतिक पार्टियां आने वाले भविष्य के चुनाव की तैयारियों को हर दृष्टि से ध्यान में रखती हैं. केवल जिलों के प्रभाव बदलने को आधार मत मानिए.
‘प्रतिनिधियों पीएल पुनिया ने की चर्चा’
चौबे ने कहा कि हमारा संगठन है पीएल पुनिया आए थे, राजीव भवन में बैठक हुई थी. उस समय सभी वर्गों को सभी प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों से उन्होंने चर्चा की है. राजनीतिक दल संभावित चुनाव को लेकर के तैयारी करते हैं. आप इसे जोड़कर भी देख सकते हैं.
भाजपा के राष्ट्रीय सह संग़ठन महामंत्री शिव प्रकाश के बयान पर मंत्री रविंद्र चौबे ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की भौगोलिक स्थिति और छत्तीसगढ़ के राजनीतिक परिस्थितियों से शिवप्रकाश को ज्यादा अवगत नहीं कराया गया है, किसी के सहयोग से सरकार बनने का काम 2003 में हुआ था. रमन सिंह एक्सीडेंटल गवर्नमेंट बनाए थे.
चौबे ने कहा कि एक्सीडेंटल गवर्नमेंट के बाद भी दोनों चुनाव में खुलेआम लोगों के द्वारा कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया जाता रहा. उनको कैसे सहयोग करते रहे. यह पूरे छत्तीसगढ़ की जनता जानती है, लेकिन इस बार भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है. छत्तीसगढ़ के किसानों और आम जनता ने ये सरकार बनाया है. इसमें किसी को कोई संशय नहीं है.
धान खरीदी केन्द्रों में भाजपा की समिति को लेकर मंत्री ने कहा कि वे धान खरीदी केंद्रों पर जाएंगे तो सबसे पहले जनता उनसे पूछेंगी कि आप 15 साल तक किसानों को धोखा क्यों दिया. केंद्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने का वादा किया था. उन्होंने क्यों नहीं खरीदा. छत्तीसगढ़ की सरकार अपने बजट से धान की खरीदी करती है. उसमें केंद्र सरकार लगातार अड़ंगा क्यों करती है. भाजपाइयों को इसका उत्तर देना पड़ेगा. उसके बाद ही तो इनका प्रश्न आएगा.
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