रायपुर। अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बंद करने की कुरीति खत्म करने की मांग की है. अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्रा ने कहा कि हुक्का पानी बंद करने की कुरीति खत्म करना आवश्यक है. इसके लिए एक सक्षम कानून का बनाया जाना भी आवश्यक है. दिनेश मिश्र ने कहा कि सरकार को इसके लिए पहल करनी चाहिए.
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डॉ. दिनेश मिश्रा ने बताया कि आरंग के पास कुछ ग्रामों से सामाजिक बहिष्कार के मामले सामने आए हैं. समाज के हुक्मरानों और गांव के दबंगों ने कुछ परिवारों को समाज से बहिष्कृत कर दिया है. समाज और गांव से बहिष्कृत होकर अपनों के बीच रहकर भी बेगाने की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.
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बहिष्कृत परिवार से गांव के लोग नहीं करते बात
उन्होंने बताया कि सामाजिक बहिष्कार के मामलों में गांव में इस तुगलकी फरमान का असर हावी हो गया है. इस तुगलकी फरमान के कारण बहिष्कृत परिवार वाले से गांव का कोई भी व्यक्ति बातचीत नहीं करता है. न ही कोई व्यक्ति उसे गांव में काम देता है. इतना ही नहीं गांव के किराना दुकानदार भी उन्हें और उनके परिवार को समान नहीं देता.
तुगलकी फरमान लोगों के लिए मुसीबत
डॉ. दिनेश मिश्रा ने कहा कि बीच में कुछ दुकानदारों और कुछ लोगों ने उनसे बातचीत करने की जरूर कोशिश की, लेकिन तथाकथित लोगों ने उन्हें भी आर्थिक रूप से दंडित कर दिया. अब उसे रोजी रोटी और जरूरत के सामान के लिए पड़ोसी गांवों पर निर्भर रहना पड़ता है. ये तुगलकी फरमान लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है.
सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून की जरूरत
डॉ मिश्र ने कहा कि लंबे समय से बहिष्कृत का दंश झेलते-झेलते परिवार में सहन शीलता खत्म हो जाती है. बहिष्कार के मामलों पर पुलिस और प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए सरकार को सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाना चाहिए, ताकि प्रदेश के हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके, बल्कि वे समाज मे सम्मानजनक ढंग से जी सकें.
बहिष्कृत नागरिकों से मिले समिति के सदस्य
बता दें कि अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्य, डॉ दिनेश मिश्र, डॉ हरीश बंछोर, ज्ञानचंद विश्कर्मा, शंकर सोनकर मंदिर हसौद, चन्द्रखुरी , खमरिया ,गुखेरा, रीवा, लखोली, नवागांव, ग्रामों में अभियान चलाया. अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति के सदस्य बहिष्कृत नागरिकों से मिले.