शिवम मिश्रा, रायपुर. छत्तीसगढ़ के अब तक के सबसे बड़े एक्सिस बैंक घोटाले में शामिल एक और फरार महिला आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. एनजीओ संचालिका दीपा वर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दरअसल एनजीओ संचालिका दीपा वर्मा घोटाले के बाद से फरार चल रही थी. उसके खाते में घोटाले के ढाई करोड़ रुपए की रकम डाली गई थी, जिसके बाद से ही पुलिस महिला की पतासाजी में जुटी थी.

पूरे मामले की कड़ी दर कड़ी पर्दाफाश किया जा रहा था. पुलिस ने एनजीओ संचालिका को नोटिस जारी कर तलब किया, लेकिन एनजीओ संचालिका लगातार फरार चल रही थी. इस मामले में एक्सिस बैंक मैनेजर समेत 8 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और अब मुजगहन पुलिस ने 9वें फरार आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि पूरे बैंक घोटाले का मास्टरमाइंड अब तक पुलिस की पहुंच से बाहर ही है.

रायपुर पुलिस की टीम महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्‍यों में दबिश भी दी, लेकिन पुलिस को खाली हाथ ही लौटना पड़ा. पुलिस के मुताबिक एनजीओ संचालिका के खाते में ढाई करोड़ रुपए जमा हुए थे, जिसमें से 21 लाख रुपए की रकम को खाते से फ्रिज कराया गया है. इस पूरे फर्जीवाड़े के 16 करोड़ 40 लाख रुपए में पुलिस ने अब तक 2 करोड़ 34 लाख नगदी और 1 करोड़ 18 लाख रुपए राज्य के अलग-अलग बैंकों में फ्रीज कराए हैं.

अब तक कुल 9 गिरफ्तार, कई अब भी फरार
पूरे फर्जीवाड़े में पुलिस ने जांच के बाद सौरभ मिश्रा, आबिद खान, संदीप रंजन दास, समीर कुमार जांगड़े, गुलाम मुस्तफा, सत्यनारायण वर्मा उर्फ सतीश, सांई प्रवीण रेड्डी, के. श्रीनिवास और अब एनजीओ संचालिका दीपा वर्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अब भी पूरे फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड समेत कई आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर चल रहे हैं, जिसकी पुलिस तलाश कर रही है. इतना ही नहीं पुलिस कई राज्यों तक अरोपियों की तलाश में दबिश भी दी है. लेकिन अब तक मास्टरमाइंड फरार है.


9वें आरोपी से जुड़े कई तार, लेकिन नहीं हुई पूछताछ
फर्जीवाड़े की 9वें आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन उसके कब्जे से न ही रकम बरामद हो पाई और न ही पूछताछ हो पाई है, जबकि चर्चा है कि महिला आरोपी के तार कई रसूखदार समेत बड़े अधिकारियों तक जुड़े हैं.

आखिर क्यों ढीली पड़ी पुलिस की जांच!
गौरतलब है कि बीते 23 जून 2022 को डूंडा स्थित एक्सिस बैंक के शाखा से फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. पुलिस को शिकायत मिलते ही शुरुआती जांच काफी तेजी से चलाई गई. पुलिसिया पूछताछ से लेकर अन्य राज्यों तक पहुंचकर अरोपियों की धर-पकड़ तक, अरोपियों की धरपकड़ से लेकर उनके खातों से रकम की रिकवरी तक जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, कई अधिकारियों की भूमिकाओं को लेकर चर्चा तेज होने लगी तो एकाएक पुलिस की कार्रवाई धीमी गति पकड़ती चली गई. इतना ही नहीं, जुलाई के शुरुआती सप्ताह में कुछ नई बातें सामने आई, उसके बाद कोई खुलासा नहीं हुआ.

कई सवाल अब भी अनसुलझे
पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी देने वाले डॉन का पता अब तक पुलिस नहीं लगा पाई है. दरअसल, कॉल और ई-मेल कर फर्जीवाड़े की जानकारी देने वाले ‘डॉन’ का सुराग पुलिस को मिल ही नहीं पाया है. डॉन के नाम से आए ई-मेल का सोशल लिंक खंगाला गया, लेकिन पुलिस के हाथों कुछ नहीं आया. इस बात का भी खुलासा नहीं हुआ है कि आखिर मंडी बोर्ड में फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड का करीबी कौन है ? मंडी बोर्ड के अधिकारियों को नोटिस देकर पूछताछ में क्या खुलासा हुआ, आखरी सवाल की पूरे फर्जीवाड़े की शिकायत मंडी बोर्ड ने पुलिस को क्यों नही दी. हालांकि सभी जांच का विषय है और पुलिस जांच में जुटी हुई है.

मामले की जांच की जा रही: थाना प्रभारी
मुझगहन थाना प्रभारी विजय ठाकुर ने बताया कि एनजीओ संचालिका को 2 नोटिस जारी किया गया था, लेकिन संचालिका थाने में उपस्थित नहीं हो रही थी. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया है. उसके खाते से 21 लाख रुपए फ्रिज कराया गया है. पूरे मामले की जांच की जा रही है.

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