मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर वन अधिकार कानून के तहत छत्तीसगढ़ में वनभूमि पर 13 दिसंबर 2005 के पूर्व से काबिज वनवासियों को वन-अधिकार-पत्रों का वितरण किया जा रहा है. वन अधिकार पत्र धारक वनवासी अपने अधिकार-वाली भूमि का उपयोग कृषि, बाड़ी, आवास और जीवन यापन संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कर पा रहे हैं.

जिले में कुल 9 हजार 617 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों का वितरण किया गया है. इनमें से 2179 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र दिसंबर 2018 के बाद से अब तक प्रदान किए गए हैं. व्यक्तिगत वनअधिकार पत्रों के माध्यम से यहां के वनवासियों को 13062.20 हेक्टेयर वनभूमि पर अधिकार प्राप्त हुआ है. इस तरह प्रति परिवार औसतन 1.35 हेक्टेयर भूमि का अधिकार प्राप्त हुआ है.

इसी तरह 2243 सामुदायिक वन अधिकार पत्रों का वितरण ग्राम सभाओं को किया गया है. सामुदायिक वन अधिकार पत्रों के तहत गौण वन उत्पाद, जलाशय, चारागाह, जैव विविधता, वनवासियों के पारंपरिक ज्ञान इत्यादि से संबंधित अधिकार समुदायों को प्राप्त हुए हैं. इससे 62518 हेक्टेयर भूमि का अधिकार ग्राम सभाओं के माध्यम से समुदाय को मिला है.

वन अधिकार कानून में अब तक उपेक्षित महत्वपूर्ण प्रावधान वन संसाधन के अधिकार को प्राथमिकता के साथ लागू करते हुए जिले में 283 वन संसाधन के अधिकार प्रदान किए गए हैं. पूर्ववर्ती वर्षों में सामुदायिक वन संसाधन का कोई भी अधिकार वनवासी समुदाय या ग्राम सभाओं को प्रदाय नहीं किया गया था. राज्य सरकार द्वारा मूल निवासियों को उनके जल, जंगल, जमीन के संपूर्ण प्रबंधन, संरक्षण, पुनर्जीवन के लिए संपूर्ण अधिकार पहली बार प्रदान किए गए.

जिले में समुदाय को ग्राम सभाओं के माध्यम से मिले 283 सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार के तहत 1,91,550.152 हेक्टेयर वन भूमि सौंपी गई है. इस अधिकार के तहत वनों के संपूर्ण प्रबंधन, उपयोग एवं संरक्षण का अधिकार वनवासी समुदाय को प्राप्त हो गया है.