अभिषेक सेमर,तखतपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छ भारत मिशन को स्वास्थ विभाग के अधिकारी ही ठेंगा दिखा रहे है. दूसरों को स्वच्छता और स्वास्थ्य का पाठ पढ़ाने वाला स्वास्थ्य विभाग खुद कितना सजग है. इसका एक उदाहरण ग्राम पूरा में चल रहे मितानिन प्रशिक्षण में जाकर देखा जा सकता है. प्रशिक्षण ले रही मितानिनों को प्रसाधन की सुविधा मुहैय्या नहीं कराई गई है. इसके चलते वे खुले में शौच जाने को मजबूर है. एक दो दिन की बात हो तो भी समझ में आती है, लेकिन यह प्रशिक्षण अवधि सप्ताह भर का होने के कारण स्वास्थ्य महकमे के कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है. स्वास्थ्य विभाग के इस निर्णय से मितानिनों के प्रति उनके मन में सम्मान का अंदाजा लगाया जा सकता है.

बिलासपुर जिले के तखतपुर विकाखण्ड के तीन अलग-अलग केंद्रों में 470 मितानिनों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25वें चरण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. सात दिवस तक चलने वाले यह प्रशिक्षण गनियारी, बेलटुकरी और ग्राम पंचायत पूरा में संचालित किया जा रहा है. इसमें अव्यवस्था का आलम यह है कि ग्राम पंचायत पूरा में चल रहे प्रशिक्षण में रुकने वाली मितानिनों के लिए प्रसाधन की व्यवस्था नहीं है. उन्हें शौच के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. यह हम नहीं कह रहे प्रशिक्षण में आई मितानिनों ने बताया है. वही अधिकारी एक दूसरे पर बात डाल रहे है और जांच करने की बात कर रहे है.

शौच की भी नहीं है व्यवस्था

प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण ले रही मितानिनों के लिए सुविधा नाम की कोई चीज ही नहीं है. सबसे ज्यादा आवश्यक प्रसाधन की सुविधा ही उन्हें उपलब्ध नहीं है. एक तरफ तो स्वास्थ्य विभाग ही आम लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाते हुए खुले में शौच जाने से मन करता है. दूसरी ओर खुद ही प्रशिक्षण में आई मितानिनों के लिए प्रसाधन की सुविधा नहीं दे पा रहा है और मितानिन खुले मैदान में शौच को जाने को विवश है.

नहीं मिल रहा अच्छा भोजन

पूर्व मध्यमिक शाला पूरा में संचालित किए जा रहे प्रशिक्षण केंद्र में कुल 80 से 100 मितानिन का प्रशिक्षण चल रहा है. इनमें से जो आस पास की है, वे रात को अपने घर चली जाती है. लेकिन जो अपने घर नहीं जा सकती वे स्कूल भवन में ही रहती है. उनके खाने पीने की व्यवस्था भी ठीक नहीं है. मितानिनों ने बताया कि दो दिन में भोजन में कभी कुछ मिला तो कभी कुछ नहीं मिला. इसके लिए जिम्मेदार जवाब देते है कि बचाकर फेंकने से अच्छा है कि कम बनाया जाए. सीधा सीधा मतलब ठेकेदार को फायदा पहुंचाने का है.

इस संबंध में विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. निखिलेश गुप्ता का कहना है कि प्रशिक्षण कार्यक़म की सारी जवाबदारी जिला समन्वयक की है. वही सारी बातें बता सकते है. रही बात अव्यवस्था की तो कल मैं जाकर देख लेता हूँ.

मामले की होगी जांच

मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रमोद महाजन का कहना है कि ट्रेनिंग स्थल पर व्यवस्थाएं पर्याप्त होनी चाहिए. अगर ऐसी व्यवस्था नहीं की गई है, तो ये संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है. यह मामला मेरे संज्ञान में आया है. मैं इस पर खंड चिकित्सा अधिकारी से रिपोर्ट तलब करूँगा और जांच का निर्देश जारी कर रिपोर्ट लूंगा.

ठेकेदार जाने भोजन की व्यवस्था

प्रशिक्षण कार्यक्रम के जिला समन्वयक उमेश पांडेय का कहना है कि मैं कल ही सारी व्यवस्था करके आया हूँ. पास ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन हैय उसमें शौचालय की व्यवस्था है. मितानिनों को कहा गया था कि वे चाहें तो वहाँ रुक सकती है. अब पता नहीं वे ऐसा क्यों कह रही है. एक बार फिर कल जाकर देखता हूँ और कारण पूछ लेता हूं. भोजन के लिए ठेकेदार द्वारा व्यवस्था की जा रही है. मेरा काम केवल प्रशिक्षण की वस्तु उपलब्ध कराना है. बाकी सारी सुविधायें उपलब्ध कराना ठेका एजेंसी का काम है.