रायपुर. अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया राजनांदगांव जिले में एक कृषक के यहां उसकी गाय के असमान्य बछड़े के जन्म होने पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ने और उस शिशु को चमत्कारिक जान कर उसके दर्शन के लिए लाइन लगाने, उस की पूजा अर्चना करने की घटना प्रकाश में आई है. जबकि ऐसे बछड़े का जन्म होना चमत्कार नही है. यह शरीर की असामान्य वृद्धि होने से संभव है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि राजनांदगांव जिले में तीन आंख और चार नासिका छिद्र के साथ जन्मे बछड़े को देखने लोगों का तांता लगा हुआ है. स्थानीय ग्रामीण और आसपास के गांवों के लोग बछड़े को चमत्कारिक अवतार मानकर पूजा कर रहे हैं. राजनांदगांव जिले के छुईखदान थाना क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत बुंदेली के आश्रित लोधी नवागांव निवासी किसान हेमंत चंदेल के यहां 13 जनवरी को उसके घर की एक गाय ने बछिया को जन्म दिया है, जन्म के बाद से ही अपनी असमान्य शारीरिक संरचना के कारण, नवजात बछिया स्थानीय ग्रामीण जनों और आसपास के कस्बों के निवासियों के लिए कौतूहल का केंद्र बन गई है. बताया जाता है कि नवजात बछिया के ​माथे पर एक अतिरिक्त आंख है और नथुने में दो अतिरिक्त नासिका छिद्र है. पूंछ जटा की तरह है और ​जीभ सामान्य से लंबी है. तीन आंख और चार नासिका छिद्र समेत अन्य भिन्नताओं को लेकर जन्मी इस ​बछिया को लोग चमत्कारिक अवतार मान पूजा कर रहे हैं.

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एचएफ जर्सी नस्ल की गाय पिछले कुछ वर्षों से उक्त कृषक के घर में है और पहले भी उसने तीन बछड़ों को जन्म दिया है, जो सामान्य थे. लेकिन इस बार जन्मी बछिया ने सभी को चौंका दिया है. जब आसपास के लोगों को बछिया के जन्म की जानकारी मिली तब बछिया की एक झलक पाने के लिए वह घर पहुंच गए और लोग बछिया पर फूल, नारियल और पैसे चढ़ा रहे हैं और भीड़ जमा हो रही है.

डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि कभी-कभी मनुष्यों में भी जन्मगत विकृतियों के मामले सामने आते हैं जिनके कभी कभी सूंड नुमा नाक, तो कभी कटे ओंठ, कभी हाथ पैर, सिर-आंखों की बनावट में भी विकृति पाई जाती है. इसे भ्रूण की असामान्य वृद्धि के कारण हुई जन्मगत विकृति कहा जा सकता है. न ही यह चमत्कार है, न अवतार और न ही कोई अलौकिक घटना. इस तरह की शारीरिक विकृतियां भ्रूण के असामान्य विकास के कारण होती है, जो पौष्टिक आहार की कमी, गर्भावस्था में संक्रमण, किसी हानिकारक वस्तु के सेवन से होती है आमतौर पर ऐसे बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं. इसे चमत्कार नहीं माना जाना चाहिए.

डॉ दिनेश मिश्र ने कहा, ग्रामीणों को अंधविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए. कई घटनाओं में यह देखा गया है कि विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जागरूकता की कमी के कारण ऐसे विकृति युक्त नवजात शिशुओं की की पूजा करने लगते हैं. डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि ग्रामीण अंचल से पहले भी जन्मगत विकृति के मामले और अनियमित विकास के मामले मनुष्य व पशुओं मेंअनेक बार सामने आते रहे हैं और कुछ दिनों तक इसे चमत्कार के रूप में प्रचारित होने से भीड़ भी जुटी, चढ़ावा भी इकट्ठा हुआ और बाद में जब लोगों को हमने असलियत की जानकारी दी तो भीड़ छटने लगी. जन्मगत विकृति के बारे में ग्रामीणों को को वैज्ञानिक रूप से समझाने की जरूरत है ताकि वे किसी भी भ्रम व अंधविश्वास में न पड़ें.