रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की तारीख घोषित नहीं होने पर फिर सियासत शुरू हो गई है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने प्रदेश सरकार को हर हाल में आगामी 1 नवंबर से धान ख़रीदी शुरू करने के लिए आग़ाह किया है. उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते कांग्रेस के नेता तत्कालीन प्रदेश सरकार के ख़िलाफ़ प्रलाप करते घूमते थे, अब सत्ता में आने के बाद वे ख़ुद धान ख़रीदी का काम 1 नवंबर से शुरू क्यों नहीं कर रहे हैं?.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर किसानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है. साय ने कहा कि धान ख़रीदी का समय सिर पर आ गया है, सरकार अभी भी ठोस व्यवस्था तय नहीं कर पाई है. मुख्यमंत्री बघेल यहां के किसानों की फ़िक्र करने के बजाय उत्तर प्रदेश में सियासी लफ़्फ़ाजियां करते घूम रहे हैं.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि प्रदेश के ज़्यादातर हिस्सों में धान की ज़ल्दी पकने वाली फसल पककर तैयार हो गई है और किसानों ने उनकी कटाई भी कर ली है, लेकिन प्रदेश सरकार ने अभी तक समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी की तारीख़ तक घोषित नहीं की है. इसके चलते अपनी कटी हुई फसल की सुरक्षा को लेकर किसान चिंतित हैं.

प्रदेश सरकार ने किसानों के पास ख़लिहान तक रहने नहीं दिया. छापे मार-मारकर उनकी माई-कोठियां भी ख़त्म कर दी, जिनसे वे अपनी फसल को मौसम की मार, चोरी और चूहों से सुरक्षित रख पाते थे. साय ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार सूखत के चक्कर में हर साल धान ख़रीदी देर से शुरू करने के षड्यंत्र रच रही है. किसानों की फसल में कटने के समय जो नमी रहती है, वह नमी महीनेभर तक फसल कटकर यूं ही पड़ी रहने के कारण 10 प्रतिशत तक कम हो जाती है. किसानों को इससे प्रति क्विंटल 200 रुपए तक का नुक़सान उठाना पड़ता है.

साय ने कहा कि अपने किसान विरोधी चरित्र के चलते प्रदेश की कांग्रेस सरकार सत्ता में आने के बाद से ही किसानों के साथ खुला अन्याय कर रही है. केंद्र सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य में पिछले और मौज़ूदा वर्षों में की गई 390 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ोतरी के सीधे लाभ से भी प्रदेश सरकार छल-कपट करके किसानों को वंचित रख रही है. अब धान ख़रीदी विलंब से करके सूखत का नुक़सान भी प्रदेश के किसानों के मत्थे मढ़कर उन्हें दोहरी मार झेलने के लिए विवश कर रही है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साय ने कहा कि भाजपा मौज़ूदा ख़रीफ सत्र की शुरुआत से ही प्रदेश सरकार को धान ख़रीदी के लिए पुख़्ता व्यवस्था तय कर लेने, किसानों को उनकी उपज का एकमुश्त पूरा भुगतान करने, 2500 रुपए प्रति क्विंटल के अलावा केंद्र द्वारा बढ़ाए गए समर्थन मूल्य का सीधा लाभ किसानों को देने, बारदानों का पूरा इंतज़ाम कर लेने के लिए आग़ाह करती आई है, लेकिन प्रदेश सरकार को सियासी लफ़्फ़ाजियों से ही फ़ुर्सत नहीं है.

किसानों के कल्याण के लिए कोई पहल करने की साफ़ नीयत अब भी इस सरकार में दूर-दूर तक कहीं नज़र नहीं आ रही है. साय ने कहा कि पिछले वर्ष तक केंद्रीय पूल में लिए जाने वाले चावल की मात्रा को कम बताकर प्रदेश सरकार और कांग्रेस प्रलाप करती रही, जबकि तीन-तीन बार मोहलत लेकर भी प्रदेश सरकार अपने हिस्से का चावल केंद्रीय पूल में जमा नहीं करा सकी थी.

अब इस वर्ष प्रदेश के किसानों के हितों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार 60.65 लाख मीटरिक टन चावल केंद्रीय पूल में लेने को सहमत हो गई है, तो प्रदेश सरकार और कांग्रेस के लोग उसना चावल के लिए रूदाली-रूदन का शोर मचा रहे हैं. साय ने कहा कि प्रदेश सरकार धान ख़रीदी से बचने के चाहे जितने षड्यंत्र और बहाने रचे, किसानों के साथ अन्याय करने की उसकी कपटपूर्ण चालें अब भाजपा क़तई नहीं चलने देगी.

साय ने कहा कि प्रदेश सरकार केंद्र पर ठीकरा फोड़ने में लगी है. धान ख़रीदी समय पर वह नहीं करती, ख़रीदी केंद्रों से धान का समयबद्ध उठाव, परिवहन और सुरक्षित भंडारण वह नहीं करती, कमीशनखोरी के चलते कस्टम मिलिंग का काम महीनों वह लटकाए रहती है. अन्नदाताओं के परिश्रम से उपजे अन्न की बर्बादी वह करती है, लेकिन हर बात के लिए केंद्र की सरकार को कोसती है.